उदयपुर (वि)। वैशाख पूर्णिमा पर होने वाली वन्यजीव गणना होनी है इस वर्ष वाइल्ड एनिमल रेस्क्यू सेंटर की टीम वाटर होल की बजाएं वन्य क्षेत्र के आस-पास के गांव एवं गांव की सड़कों या नेशनल हाईवे पर रेलवे की पटरिया पर जो वन्य जीव घूमते हैं उन वन्यजीवों की गणना करेगा। वाइल्ड एनिमल रेस्क्यू सेंटर के अध्यक्ष वल्र्ड रिकॉर्ड होल्डर चमन सिंह चौहान ने बताया कि पिछले काफी समय से वन्यजीव वाटर होल पर अपनी प्यास बुझाने नहीं आते हैं। अधिकांश एनिमल्स गांव की तरफ रूक कर गया है ऐसे में गांव के आसपास पानी उपलब्ध हो जाता है। वह एनिमल्स वाटर होल पर आता ही नहीं है ऐसे में वन्यजीवों की सही जानकारी नहीं मिलती है वाइल्ड एनिमल रेस्क्यू सेंटर इस वर्ष उदयपुर से कुंभलगढ़ तक के जो भी गांव आते हैं उन गांव में अपनी निगाह रखेंगे ताकि वास्तविकता में एनिमल्स कितने बच्चे हैं उसका पता लगाया जा सके सही रिपोर्ट आने पर वन विभाग को उपलब्ध कराई जाएगी रेस्क्यू टीम में लक्ष्मी लाल गमेती निर्मल गमेती कोमल गमेती भेरू लाल गुर्जर दिग्विजय सिंह एवं सेंटर के अध्यक्ष चमन सिंह चौहान खुद मौजूद रहेंगे। यह गणना रात 9 बजे से सवेरे 5.30 बजे तक रहेगी।
चित्तौडग़ढ़ । दो साल बाद वन्यजीवों की गणना आज बुद्धपूर्णिमा की धवल रोशनी में होने जा रही है, जिसके लिये वन विभाग द्वारा तैयारियां पूणर् कर ली गई है। आज प्रात: 8 बजे से शुरू होकर 17 मई सुबह 8 बजे तक होगी। वन्यकर्मियों के साथ वन्यजीव प्रेमी भी लगातार 24 घण्टों तक मचान पर बैठकर वन्यजीवों की गिनती करेंगे। सीतामाता व बस्सी अभ्यारण्य के अलावा आसपास के वन क्षेत्र में वॉटरहॉल पद्धति से यह गणना की जाएगी। उपवन संरक्षक टी मोहनराज ने बताया कि सीतामाता और बस्सी वन्यजीव अभ्यारण्य के अलावा आसपास के वन क्षेत्रों में भी वॉटरहॉल पद्धति से गणना की जाएगी, जिसके लिए सीतामाता एवं बस्सी वन्यजीव अभयारण्यों में कुल 95 वाटर होल है, उन सभी जगह पर ट्रैप कैमरा लगाये गये है। सेंचुरी में कुछ जगह ओदी है और उसके अलावा कुछ जगहों पर मचान भी बनाए गए हैं। बस्सी सेंचुरी रेंजर अब्दुल सलीम, धरियावद रेंजर मनोज औदीच्य, बड़ीसादड़ी रेंजर पुष्पेंद्र सिंह और जाखम रेंजर दिनेश कुमार मीणा ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है। वन्यजीव गणना में मुख्य रूप से पैंथर, जरख, हिरण, जंगली सुअर, चौसिंगा, नीलगाय, सियार, लोमड़ी, सांभर, उडऩ गिलहरी, मगरमच्छ जैसे सैकड़ों वन्यजीवों की गिनती की जाएगी।
वन अधिकारियों के अनुसार वन्यजीव की प्रजाति और लिंग का सही निर्धारण हो सके, इसके लिए मोबाइल या कैमरे से फोटो खींच कर विशेषज्ञ से पहचान करवाना सुनिश्चित करना होगा।