जयपुर (कार्यालय संवाददाता)। सिंडिकेट बैंक धोखाधड़ी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोपियों की 56.81 करोड़ की प्रॉपर्टी अटैच की है। ईडी ने सिंडिकेट बैंक से कर्ज धोखाधड़ी में शामिल उदयपुर के सीए भारत बम, जयपुर के बिल्डर शंकर लाल खंडेलवाल और उनके अन्य सहयोगियों की कृषि भूमि, प्लॉट, दुकानों, ऑफिस कैंपस, फ्लैट्स के अलावा बैंक अकाउंट भी अटैच किए हैं। ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत धोखाधड़ी में शामिल लोगों की चल-अचल संपत्ति को अस्थायी रूप स अटैच कर दिया है। धोखाधड़ी में शामिल लोगों की बेनामी प्रॉपर्टी भी सामने आ चुकी है।
केनरा बैंक में मर्ज हो चुकी सिंडिकेट बैंक से अरबों के कर्ज घोटाले के मामले में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी। सीबीआई जांच के आधार पर ही ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की। जांच के दौरान पता चला कि 2011 से 2016 के बीच उदयपुर के चार्टड अकाउंटेंट मास्टर माइंड भारत बम ने बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से तत्कालीन सिंडिकेट बैंक से 1267.79 करोड़ रुपए का कर्ज लिया। उदयपुर के भारत बम ने अपने परिजनों के नाम से पांच साल में अलग-अलग करके 1267 करोड़ के कर्ज लिए। कर्ज का यह पैसा भारत बम की शैल कंपनियों में ट्रांसफर कर दिए गए। पांच साल में अलग अलग समय पर लिए गए ये कर्ज कभी नहीं चुकाए गए।
अब तक 537 करोड़ की प्रॉपर्टी अटैच
सिंडिकेट बैंक धोखाधड़ी के मामले में ईडी अब तक 537.72 करोड़ की प्रॉपर्टी अटैच कर चुका है। इससे पहले ईडी चार अलग-अलग अटैचमेंट के ऑर्डर जारी कर 478 करोड़ की प्रॉपर्टी अटैच कर चुका है। अब 56.81 करोड़ की संपत्ति के साथ यह आंकड़ा 537 करोड़ हो चुका है। हाल ही में 2.25 करोड़ के एक डिमांड ड्राफ्ट को भी अटैच किया था। इस मामले में ईडी की जांच जारी है।
सिंडिकेट बैंक की जयपुर की दो और उदयपुर की एक ब्रांच में हुआ था घोटाला
बैंक फ्रॉड की साजिश उदयपुर के चार्टर्ड एकाउंटेंट भारत बम ने कुछ कारोबारियों, खुद के कर्मचारियों और सिंडिकेट बैंक के जयपुर की एमआई रोड ब्रांच के अफसरों के साथ मिलकर रची। बैंक फ्रॉड के लिए फर्जी दस्तावेज़,फर्जी बिल और दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया। शैल कंपनियों में पैसा सायफन किया। सीबीआई जांच में सिंडिकेट बैंक के कर्मचारियों की भी भूमिका सामने आई थी।
पूरा घोटाला जयपुर में सिंडिकेट बैंक की एमआई रोड, मालवीय नगर और उदयपुर की ब्राचं से किया गया। इस घोटाले में 118 लोन अकाउंट और हाउसिंग लोन अकाउंट पाए गए थे। इनके जरिए बैंक से कर्ज लिया गया और फिर चुकाया नहीं। सीबीआई साल भर पहले चार्जशीट पेश कर चुकी है। अब ईडी की जांच जारी है।
कर्मचारियों, आदिवासियों तक के नाम से प्रॉपर्टी
ईडी जांच में यह सामने आया कि भारत बम और उसके सहयोगियों ने बैंक से लिए गए कर्ज को फर्जी कंपनियों के अकाउंट में गलत तरीके से ट्रांसफर किया। शैल कंपनियों को केवल इसी पैसे को डायवर्ट करने के लिए बनाया गया था। इसके अलावा ये कंपनियां कोई काम नहीं करती थी। धोखाधड़ी से लिए गए कर्ज के पैसे से भारत बम और सहयोगियों ने खूब बेनामी प्रोपर्टी खरीदी। आदिवासियों तक के नाम से फार्म हाउस खरीदे गए। बम के यहां काम करने वाले कई कर्मचारियों के नाम से भी खूब प्रोपर्टी खरीदी गई।