नई दिल्ली (एजेंसी)। विराट कोहली अब कप्तान नहीं रहे। यदि वह चाहते तो फरवरी के अंत में श्रीलंका के खिलाफ बेंगलुरू में अपना 100वां टेस्ट मैच खेलने के बाद टेस्ट टीम की कप्तानी छोड़ सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने शुक्रवार को कोहली को फोन कर उन्हें कप्तान के रूप में विदाई मैच बेंगलुरू में खेलने की पेशकश की थी, जब कोहली ने बोर्ड को कप्तानी छोडऩे के फैसले के बारे में बताया था। बोर्ड अधिकारी का कहना है कि कोहली ने बतौर कप्तान विदाई मैच खेलने से इनकार कर दिया। विराट ने कहा कि एक मैच से कोई फर्क नहीं पड़ता। कोहली ने अपनी कप्तानी का अंत हार के साथ किया। भारतीय टीम अगले महीने श्रीलंका की मेजबानी करेगी। 2 टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला टेस्ट बेंगलुरू में खेला जाएगा जो कोहली का 100वां टेस्ट मैच होगा। इससे पहले महेंद्र सिंह धोनी ने साल 2014 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर मेलबर्न टेस्ट ड्रॉ के बाद कप्तानी छोडऩे का ऐलान किया था। धोनी ने 90 टेस्ट मैच खेले। कोहली ने जब टेस्ट कप्तानी छोडऩे का ऐलान किया तो उन्होंने खासतौर पर धोनी को भी थैंक्यू कहा, जिन्होंने उनमें बतौर कप्तान विश्वास जताया। विराट के फैसले ने भले ही बहुतों को चौंकाया हो, मगर पिछले कुछ महीनों के घटनाक्रम से ऐसे ही आसार बन रहे थे। आईसीसी वर्ल्ड टी-20 से शर्मनाक विदाई के बाद विराट का सबसे छोटे फॉर्मेट की कप्तानी छोडऩा पहली कड़ी थी। फिर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने वनडे की कप्तानी से विराट को हटाकर साफ कर दिया कि ‘बॉस’ कौन है। पॉइंट ये है कि विराट की टेस्ट कप्तानी पर संकट के बादल तो मंडरा ही रहे थे। दक्षिण अफ्र्रीका में सीरीज हार ने उन बादलों को और घना कर दिया। इससे पहले कि बोर्ड वनडे की तरह टेस्ट टीम की कप्तानी विराट से छीनता, उन्होंने खुद ही कह दिया, ‘अब मेरे लिए रूकने का समय है।