नई दिल्ली (एजेंसी)। संसद से साढ़े तीन महीने पहले पास हुए तीन कृषि कानूनों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अस्थाई रोक लगा दी। कृषि कानूनों को चुनौती देती याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 4 सदस्यों की कमेटी भी बना दी। यह कमेटी किसानों से बातचीत करेगी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला न किसानों के लिए जीत है और न सरकार के लिए हार। पिछले साल सितंबर में सरकार ने तीन कृषि कानून संसद से पास कराए थे। 22 से 24 सितंबर के बीच राष्ट्रपति ने इन कानूनों पर मुहर लगा दी थी। किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। कुछ वकीलों ने भी इन कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने 4 विशेषज्ञों की जो कमेटी बनाई है, उसमें कोई रिटायर्ड जज शामिल नहीं है।
कमेटी में ये विशेषज्ञ शामिल
< (1) भूपेंद्र सिंह मान, भारतीय किसान यूनियन
< (2) डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, इंटरनेशनल पॉलिसी हेड
< (3) अशोक गुलाटी, एग्रीकल्चर इकोनॉमिस्ट
< (4) अनिल घनवट, शेतकरी संघटना, महाराष्ट्र
कमेटी क्या करेगी
कमेटी किसानों से बातचीत करेगी। हो सकता है कि सरकार को भी इसमें अपना पक्ष रखने का मौका मिले। यह कमेटी कोई फैसला या आदेश नहीं देगी। यह सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। कमेटी के पास कितने दिन का वक्त होगा, यह अभी साफ नहीं है।
क्या किसान मानेंगे
आंदोलन कर रहे 40 संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि हम किसी कमेटी के सामने नहीं जाना चाहते, फिर भी एक बैठक कर इस पर फैसला लेंगे। हमारा आंदोलन जारी रहेगा।
सरकार से बातचीत
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि सभी किसान नेता 15 जनवरी को सरकार के साथ 10वें दौर की बातचीत में हिस्सा लेंगे।