नई दिल्ली/मुंबई (एजेंसी)। महाराष्ट्र का राजनीतिक संकट अब आखिरी पड़ाव पर पहुंच रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार रात शिवसेना की दलीलों को खारिज करते हुए गुरूवार को ही फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दे दिया। इसके कुछ देर बाद ही सीएम उद्धव ठाकरे ने फेसबुक लाइव करते हुए इस्तीफे का ऐलान कर दिया।
उन्होंने शिंदे गुट के गिले-शिकवों पर अपनी बात रखी और कहा कि आपको अपनी बात ठीक तरह से रखनी चाहिए थी। उद्धव ने कहा कि जिनसे धोखे की आशंका थी वे साथ रहे। उन्होंने कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मुखिया शरद पवार को धन्यवाद कहा।
इससे पहले राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। सुप्रीम अदालत ने हालांकि शिवसेना व्हिप चीफ सुनील प्रभु की याचिका पर स्टे लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल के फैसले को सही कहा और 30 जून को बहुमत परीक्षण की इजाजत दे दी है। इससे पहले फ्लोर टेस्ट पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि विधायकों की अयोग्यता का मामला लंबित होने से फ्लोर टेस्ट नहीं रुक सकता। इसके साथ ही सीएम उद्धव ठाकरे को तगड़ा झटका लगा है। हालांकि इससे पहले सीएम उद्धव ने कैबिनेट बैठक में मंत्रियों से ढाई साल तक सहयोग करने के लिए धन्यवाद कहा। सूत्रों से जानकारी मिली है कि फ्लोर टेस्ट से पहले वो अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारी राय है कि इन मसलों का सही समाधान विधानसभा का सदन ही हो सकता है। अदालत ने बोम्मई केस का हवाला देते हुए कहा कि बहुमत का फैसला तो सदन में ही हो सकता है।
इससे पहले सुनवाई के दौरान एकनाथ शिंदे गुट के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि जब डिप्टी स्पीकर पर ही सवाल है तो फिर वह कैसे सदस्यों की योग्यता पर फैसला ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि फ्लोर टेस्ट में देरी नहीं होनी चाहिए। ऐसा होता है तो फिर हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा मिल सकता है। कौल ने कहा कि राज्यपाल के फैसले में कुछ भी गलत नहीं है। विधायकों की अयोग्यता का मामला अलग है और फ्लोर टेस्ट कराने का मसला अलग है।
उन्होंने महाविकास अघाड़ी को चुनौती देते हुए कहा कि यदि आपके पास संख्या है तो फ्लोर टेस्ट में आप जीत हासिल कर लेंगे। कौल ने कहा कि अल्पमत की सरकार सत्ता में बने रहने की कोशिश कर रही है। यदि उसके पास बहुमत है तो साबित करना ही चाहिए।
शिवसेना का पक्ष रखते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि फ्लोर टेस्ट से पहले तो विधायकों की अयोग्यता को लेकर फैसला होना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह फैसला तो हम करेंगे कि जिन विधायकों को अयोग्यता का नोटिस दिया गया है, वह वैध है या फिर नहीं। शिवसेना के चीफ व्हिप सुनील प्रभु के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्यपाल से कल शाम को ही देवेंद्र फडणवीस ने मुलाकात की थी और आज हमें नोटिस भेज दिया गया। यह आदेश ऐसे समय में दिया गया है, जब एनसीपी के दो सदस्य कोरोना संक्रमित हैं और कांग्रेस का एक विधायक देश से ही बाहर हैं। ऐसे में कल फ्लोर टेस्ट कैसे हो सकता है। सिंघवी ने इस दौरान शिवराज और हरीश रावत केस का भी हवाला दिया।
सिंघवी, कौल और मेहता ने रखीं दलीलें : शिवसेना की तरफ से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट में पेश हुए। वहीं, शिंदे गुट की तरफ से पेश हुए एडवोकेट नीरज किशन
कौल ने पैरवी की। एडवोकेट मनिंदर सिंह कौल की दलीलों का समर्थन करने खड़े हुए। आखिर में राज्यपाल की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें रखीं।