नई दिल्ली (एजेंसी)। भारत को जल्द ही रूस से एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम मिलने जा रहा है। रूस ने इस एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम को भारत पहुंचाना शुरू कर दिया है। इस एयर फिफेंस सिस्टम की क्षमता का अंदाजा आप इसे लगा सकते हैं कि यह सैकड़ों किमी दूर से दुश्मन की मिसाइल को पलभर में ही हवा में ध्वस्त कर सकता है। फिलहाल इस मिसाइल सिस्टम के पार्ट भारत में आने शुरू हो गए हैं।
फेडरल सर्विस फॉर मिलिट्री टेक्निकल कोऑपरेशन (एफएसएमटीसी) के डायरेक्टर दिमित्री शुगेव ने दुबई एयर शो में कहा कि रूस ने भारत को एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति शुरू कर दी है। एफएसएमटीसी रूसी सरकार का मुख्य रक्षा निर्यात नियंत्रण संगठन है। वहीं, इंडियन डिफेंस इंटस्ट्री के सूत्रों ने कहा कि एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के पार्ट भारत पहुंचने लगे हैं और उन्हें पहले पश्चिम सीमा के करीब किसी एक स्थान पर तैनात किया जाएगा। सूत्रों ने कहा कि ये वो इलाका होगा जहां से पाकिस्तान के साथ लगने वालीं पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं के दोनों हिस्सों के खतरों सो निपटा जा सकता है।
पहले कहां होगी तैनाती?
भारतीय रक्षा उद्योग के सूत्रों ने कहा कि वायु रक्षा प्रणाली के हिस्से भारत पहुंचने लगे हैं और उन्हें पहले पश्चिमी सीमा के करीब तैनात किया जाएगा, जहां से पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं के दोनों हिस्सों पर पाकिस्तान और चीन के खतरों से निपटना जा सकता है। इस एयर डिफेंस सिस्टम के लिए भारत और रूस के बीच लगभग 35000 करोड़ रूपए का सौदा हुआ है। सौदे के तहत 400 किमी के हवाई रेंज से निपटने के लिए भारत को पांच स्क्वाड्रान मिलेंगे। इस साल के अंत तक पहली स्क्वाड्रन की डिलीवरी पूरी होने की उम्मीद है।
समुद्री और हवाई दोनों मार्गों से भारत लाया जा रहा
सूत्रों ने कहा कि उपकरण को समुद्री और हवाई दोनों मार्गों से भारत लाया जा रहा है। देश में पहले स्क्वाड्रान की तैनाती के बाद वायुसेना देश के भीतर अपने कर्मियों की ट्रेनिंग के लिए संसाधन उपलब्ध कराने के साथ-साथ इसकी तैनाती को लेकर पूर्वी सीमाओं पर भी ध्यान देना शुरू कर देगी। भारतीय वायु सेना के कुछ अधिकारी और कर्मी एस-400 को ऑपरेट करने के लिए रूस में ट्रेनिंग भी ली है।
चार अलग-अलग मिसाइलों से है लैस
यह एस-400 मिसाइल सिस्टम चार अलग-अलग मिसाइलों से लैस है जो दुश्मन के विवानों, बैलिस्टिक मिसाइलों और यूएडब्ल्यूएसीएस विमानों को क्रमश: 400 किमी, 250 किमी, 120 किमी और 40 किमी दूर से ध्वस्त कर सकती है। सूत्रों का कहना है कि रूस के साथ इस सौदे को लेकर बारगेनिंग करते हुए भारत लगभग एक अरब डॉलर कम करने में कामयाब रहा।