पुरी (एजेंसी)। इन दिनों फिल्म पुष्पा का गाना, उसके संवाद और स्टाइल लोगों की जबान पर चढ़े हुए हैं। पुष्पा फिल्म की कहानी लाल चंदन की तस्करी के इर्दगिर्द बुनी हुई है। फिल्म की शुरूआत में ही बताया जाता है कि किस तरह जापान में बनने वाले एक वाद्ययंत्र के लिए चीन से लकड़ी की तस्करी होती है और चीन तक यह लकड़ी दक्षिण भारत के एक विशेष स्थल से पहुंचाई जाती है।
यह लाल चंदन बहुत दुर्लभ प्रजाति का है और स्वाभाविक है कि अत्यधिक दोहन की वजह से विलुप्ति की कगार पर है। लेकिन सिर्फ लाल चंदन ही नहीं ऐसे बहुत से दुर्लभ पेड़ हैं जो अत्यधिक दोहन और जंगलों के कटने की वजह से विलुप्त होने की कगार पर आ पहुंचे हैं। खास बात यह है कि हमने इन जंगलों पर आस्था नहीं रखी और अब इनकी गैरमौजूदगी में हमारी सदियों की आस्था पर ही मुसीबत आ रही है।
दरअसल, हर साल की तरह इस साल भी ओडिशा में भगवान जगन्नाथ के रथ के लिए लाई गई लकड़ी की बसंत पंचमी के दिन पूजा की गई। लेकिन इस बार यह लकड़ी जंगलों से नहीं आई थी, बल्कि इसे निजी जमीन से लिया गया था।
भगवान जगन्नाथ के रथ में जो लकड़ी इस्तेमाल होती है, वो एक विशेष पेड़ फासी और धौरा नाम के पेड़ की होती है। बीते वर्षों में इस पेड़ में हुई उल्लेखनीय गिरावट और जलवायु परिवर्तन की वजह से जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए बनाए जाने वाले रथ में इस बार लकड़ी उपलब्ध नहीं हो सकी। इस साल 99 फीसद धौरा और फासी की लकड़ी निजी भूमि मालिकों से ली गई है। इन्हें ओडिशा के नयागढ़ और खोरदा जिले से काटा गया था।