1971 युद्ध में शहीदों के दोहिते-दोहिती और भाई-बहन के बेटे-बेटी को भी मिल सकेगी सरकारी नौकरी
जयपुर (कार्यालय संवाददाता)। बांग्लादेश मुक्ति के समय हुए भारत पाकिस्तान के युद्ध में 31 दिसंबर 1971 तक शहीद हुए सैनिकों के आश्रितों को भी अब राजस्थान सराकार सरकारी नौकरी देगी। अब तक 1971 के युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के परिजन सरकारी नौकरी से वंचित हैं। इसके लिए सरकार नियमों में बदलाव करने जा रही है। शहीद सैनिकों के आश्रितों में अब रिश्तेदारों को भी शामिल किया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्वर्णिम विजय दिवस पर हुए कार्यक्रम में शहीद सैनिकों के परिजनों को नौकरी देने में नियम बदलने की घोषणा की।
सीएम ने शहीदों के आश्रितों की श्रेणी में अब शहीद के नवासा-नवासी, दत्तक नवासा-नवासी और शहीद के भाई-बहन के बेटे-बेटी को भी शामिल करने की घोषणा की है। पहले के नियमों में 15 अगस्त 1947 से 31 दिसंबर 1970 तक के राजस्थान के शहीदों के आश्रित परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का प्रावधान है।
गहलोत बोले- राजस्थान का सीएम होने पर गर्व
सीएम अशोक गहलोत ने कहा-हमारी सेनाओं के पराक्रम के आगे पाकिस्तानी सेना ने घुटने टेक दिए और बांगलादेश का एक अलग राष्ट्र के रूप में उदय हुआ। मुझे गर्व है कि में ऐसे प्रदेश का मुख्यमंत्री हूं जहां हर घर में देश की सीमाओं की रक्षा के लिए शहादत का जज्बा है। कारगिल युद्ध में शहीद हुए प्रदेश के जवानों के घर जाने का मुझे मौका मिला तो वहां शहीद बेटे की मां और पिता ने अपने दूसरे बेटे को भी देश की रक्षा के लिए सीमा पर भेजने का जज्बा नजर आया।