जयपुर (कार्यालय संवाददाता)। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि पंडित नेहरू और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के आपसी रिश्ते प्रगाढ़ थे। पंडित नेहरू जी जब जेल में थे, तब उनकी पत्नी कमला नेहरू बीमार पड़ गईं थीं, उन्हें टीबी हो गई। तो नेताजी बोस ही उनको इलाज के लिए जर्मनी लेकर गए और वहां उनका ख्याल रखा। पंडित नेहरू बोस के घर रूकते थे। जब फॉरवर्ड ब्लॉक नाम से नई पार्टी बोस ने बना ली। तो भी नेहरू उनके घर रूकते थे। पंडित नेहरू ने उन्हें याद रखने के लिए ही जय हिन्द का नारा लगाया था। इंदिरा गांधी को भी हमने जय हिन्द का नारा लगाते हुए देखा। गहलोत ने आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि क्रस्स् वाले क्या बोलते हैं। वो तो नागपुर में तिरंगा झंडा तक नहीं लगाते हैं।
धर्म-जाति के आधार पर गुमराह कर रहीं कुछ ताकतें
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती पर मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस से ‘स्वर्णिम इतिहास और नया भारत ‘ सब्जेक्ट पर वर्चुअल सेमीनार को गहलोत ने सम्बोधित किया। उन्होंने युवाओं को नेताजी के बताए रास्ते पर चलते हुए गुमराह करने वाली शक्तियों से सावधान रहने की नसीहत दी। गहलोत ने कहा कि देश में आज शांति और सद्भाव कायम करने की जरूरत है। अनेकता में एकता वाले इस मुल्क में कुछ ताकतें हमारे नौजवानों को गुमराह कर रही हैं। धर्म और जाति के आधार पर नई पीढ़ी आपस में लड़ाने वाली इन ताकतों को हमें कामयाब नहीं होने देना है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने युवाओं में एक नया जज्बा कायम किया और विदेशी धरती पर आजाद हिंद फौज खड़़ी कर अपनी हिम्मत और साहस का परिचय दिया।
70 सालों में हासिल उपलब्धियों को नकारा जा रहा
गहलोत ने कहा आजादी के आंदोलन के महानायकों में ब्रिटिश सत्ता से आजादी के मकसद को लेकर आपसी कॉर्डिनेशन था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से प्रभावित होकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस आजादी की जंग में कूदे थे। गांधीजी और नेहरू की तरह ही बोस का मकसद भी मुल्क की आजादी था। आजादी के इन महानायकों में विचारों का अंतर भले रहा हो। लेकिन उनमें मनभेद नहीं था। क्योंकि गांधीजी असहमति जताने और आलोचना करने वालों का भी सम्मान करते थे।
लेकिन आज के माहौल में देश में सहन करने की भावना कम होती जा रही है। असहमति जताने पर लोगों को देशद्रोही बताते हुए जेल भेजा जा रहा है। इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की कोशिश की जा रही हैं। 50 वर्ष से जल रही अमर जवान ज्योति को बुझा दिया गया है। 70 सालों में हासिल की गई देश की उपलब्धियों को नकारा जा रहा है।