मुंबई : आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी), मुंबई ने एक अहम फैसले में कहा है कि किसी पुनर्विकास परियोजना में प्राप्त नया फ्लैट आयकर अधिनियम की धारा 56(2)(x) के तहत ‘अन्य स्रोतों से आय’ के रूप में कर योग्य नहीं होगा।
मुंबई में पुनर्विकास परियोजनाओं में तेजी आई है और मई पिछले वर्ष तक 31,000 से अधिक पुनर्विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी। चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के अनुसार, यह निर्णय उन फ्लैट मालिकों के लिए स्पष्टता लाता है जिन्होंने पुनर्विकास का विकल्प चुना है या ऐसा करने की योजना बना रहे हैं। इससे यह सुनिश्चित होगा कि पुराने फ्लैट के बदले नया फ्लैट मिलने पर उन पर अनुचित कर भार न लगे।
इस मामले में, एक व्यक्ति ने 1997-98 में एक हाउसिंग सोसाइटी में फ्लैट खरीदा था। दिसंबर 2017 में जब सोसाइटी का पुनर्विकास हुआ, तो उन्हें पुनर्विकास समझौते के तहत नया फ्लैट मिला। लेकिन 2017-18 के असेसमेंट वर्ष के दौरान आयकर अधिकारी ने नए फ्लैट (रु.25.1 लाख) और पुराने फ्लैट की इंडेक्स लागत (रु.5.4 लाख) के बीच रु.19.7 लाख के अंतर को ‘अन्य स्रोतों से आय’ मानकर कर लगाया।
आईटीएटी ने करदाता के पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि यह अस्थायी संपत्ति का अधूरे मूल्य पर अधिग्रहण नहीं है, बल्कि पुराने फ्लैट के स्थान पर नया फ्लैट मिलने की वैध लेनदेन है। धारा 56(2)(x) के प्रावधान ऐसे मामलों पर लागू नहीं होते।
आईटीएटी ने यह भी स्पष्ट किया कि अधिकतम स्थिति में यह मामला पूंजी लाभ की श्रेणी में आ सकता है, लेकिन यदि करदाता नए फ्लैट की लागत की कटौती के लिए पात्र है, तो उस पर कोई पूंजीगत कर देय नहीं होगा।