
पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून के खिलाफ भड़की हिंसा ने राजनीतिक और सामाजिक माहौल को तगड़ी हिला दिया है। अब तक मुर्शिदाबाद, मालदा, 24 परगना और हुगली जैसे जिलों में हुई हिंसा में 3 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हालात को काबू में रखने के लिए केंद्र सरकार ने पैरामिलिट्री फोर्स की 5 कंपनियां और बीएसएफ के 300 जवान हिंसाग्रस्त इलाकों में तैनात किए हैं।
ओवैसी का तीखा जवाब – “मैं प्रवक्ता नहीं, शांति का समर्थक हूं” :
इस हिंसा पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा – “मैं पश्चिम बंगाल सरकार का प्रवक्ता नहीं हूं।” ओवैसी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बंगाल सरकार में कई बेहतर लोग हैं जो इस मुद्दे पर जवाब दे सकते हैं। उन्होंने महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में बुलडोजर कार्रवाई का जिक्र करते हुए कहा कि “जब 14 साल के बच्चे पर पाकिस्तान के नारे लगाने का आरोप लगा और उसके घर पर बुलडोजर चलाया गया, तब कोई सवाल क्यों नहीं उठा?”
शांति की अपील, लेकिन वक्फ कानून पर मोदी सरकार पर निशाना :
ओवैसी ने दोहराया कि उनकी पार्टी हमेशा से हिंसा के खिलाफ रही है और प्रदर्शन को शांतिपूर्ण तरीके से होने की बात करती रही है। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि वक्फ कानून संविधान के खिलाफ है और पीएम मोदी अपनी विचारधारा को देश पर थोप रहे हैं। उन्होंने कहा, “अगर यह कानून हिंदुओं और सिखों के लिए ठीक है, तो मुसलमानों के लिए क्यों नहीं?”
बीजेपी का हमला, कोर्ट का दखल :
इस बीच, बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने हिंसा के मुद्दे को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग की गई थी। कोर्ट ने इस याचिका को मंजूर करते हुए त्वरित कार्रवाई के आदेश दिए। ममता बनर्जी ने बयान दिया है कि केंद्र द्वारा बनाए गए इस कानून को बंगाल में लागू नहीं किया जाएगा। “जब कानून यहां लागू ही नहीं होगा, तो दंगा किस बात पर हो रहा है?” – ममता बनर्जी ने सवाल उठाया।