संसद के बजट सत्र के दौरान वक्फ संशोधन बिल को लेकर जबरदस्त राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। केंद्र सरकार बुधवार, 2 अप्रैल 2025 को यह बिल लोकसभा में पेश करने जा रही है, जिसे जल्द से जल्द पास कराने की मंशा साफ है। सरकार को उम्मीद है कि एनडीए के सभी सहयोगी दल उसका समर्थन करेंगे, जिससे यह बिल आसानी से लोकसभा से पारित हो जाएगा। हालांकि, राज्यसभा में समीकरण कुछ चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।
लोकसभा में सरकार की स्थिति मजबूत :
लोकसभा की कुल 543 सीटों में से बहुमत के लिए 272 सांसदों का समर्थन जरूरी होता है। एनडीए के पास फिलहाल 293 सांसदों का समर्थन है, जिसमें भाजपा के 240 सांसद, जेडीयू के 12 सांसद, टीडीपी के 16 सांसद, शिवसेना (शिंदे गुट) के 7 सांसद और अन्य सहयोगी दल शामिल हैं। यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से बहुमत से अधिक है, इसलिए लोकसभा में इस बिल के पारित होने की संभावना काफी अधिक है।
राज्यसभा में सरकार के लिए कड़ा इम्तिहान :
राज्यसभा में फिलहाल 234 सदस्य हैं (जम्मू-कश्मीर की 4 सीटें खाली हैं), और बहुमत के लिए 118 वोटों की जरूरत होगी। बीजेपी के पास अपने 96 सांसद हैं और सहयोगियों को जोड़कर यह संख्या 113 तक पहुंचती है। हालांकि, 6 मनोनीत सदस्य, जो आमतौर पर सरकार का समर्थन करते हैं, सरकार के पक्ष में वोट कर सकते हैं। इसके बावजूद राज्यसभा में सरकार की स्थिति लोकसभा के मुकाबले कुछ कमजोर दिखाई दे रही है।
विपक्ष की रणनीति और विरोध :
विपक्षी दलों ने इस बिल का कड़ा विरोध करने का ऐलान कर दिया है। इंडिया गठबंधन की बैठक के बाद कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और एआईएमआईएम ने साफ कर दिया कि वे इस बिल को किसी भी कीमत पर पारित नहीं होने देंगे। विपक्ष का दावा है कि इस बिल से वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ जाएगा और इससे अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों को नुकसान पहुंचेगा।
सरकार की सफाई और बिल में बदलाव :
सरकार का दावा है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता और बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है। सूत्रों के मुताबिक, इस बिल में कुछ अहम बदलाव किए गए हैं। वक्फ संपत्तियों पर विवाद न होने की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा। 2025 से पहले जो संपत्तियां वक्फ के अधीन थीं, वे आगे भी वक्फ संपत्ति बनी रहेंगी।
वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की भागीदारी :
बोर्ड में दो गैर-मुस्लिम सदस्य हो सकते हैं और राज्य सरकार का एक अधिकारी भी शामिल किया जाएगा। जांच का अधिकार कलेक्टर से वरिष्ठ अधिकारी को पहले संशोधन बिल में कलेक्टर को वक्फ संपत्ति की निगरानी का अधिकार दिया गया था, जिसे अब राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी को सौंपा जाएगा।वक्फ ट्रिब्यूनल में इस्लामिक विद्वान ट्रिब्यूनल में अब दो की बजाय तीन सदस्य होंगे, जिसमें एक इस्लामिक विद्वान भी होगा।
क्या सरकार वक्फ बिल पास करा पाएगी ?
सरकार की ओर से इस बिल में किए गए संशोधनों के बाद एनडीए के सहयोगी दलों का समर्थन मिल सकता है, जिससे बिल के पास होने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। लोकसभा में सरकार के पास स्पष्ट बहुमत है, लेकिन असली चुनौती राज्यसभा में होगी। विपक्ष अगर पूरी तरह एकजुट रहता है, तो राज्यसभा में बिल को अटकाने की कोशिश कर सकता है। अब सबकी नजरें बुधवार (2 अप्रैल) को लोकसभा और गुरुवार (3 अप्रैल) को राज्यसभा पर टिकी होंगी। देखना दिलचस्प होगा कि सरकार अपने नंबर गेम को कितनी मजबूती से साध पाती है या फिर विपक्ष किसी रणनीति से इस बिल को रोकने में कामयाब होता है।