नगर संवाददाता उदयपुर। एनआरआई द्वारा एसीबी में आरपीएस जितेन्द्र आंचलिया व अन्य को खिलाफ दर्ज कराई गई रिपोर्ट जांच में एजेंसी ने अपना ही निर्णय पलटते हुए आरपीएस वा दो अन्य के खिलाफ आरोष प्रमाणित नहीं मानते हुए उन्हें क्लिन चिट दे दी है। जांच एजेंसी ने सिर्फ उप निरीक्षक रोशनलाल को ही आरोपी माना है। राजस्थान हाईकोर्ट ने भी जांग एजेंसी के निर्णय पर अपनी मोहर लगा दी है। एनआरआई को सीबीआई जांच की याचिका को भी हाईकोर्ट नामंजूर कर दिया।
एनआरआई नीरज पूर्णिया की ओर से एसीबी में आरपीएस जितेन्द्र आंचलिया व अन्य के खिलाफ दर्ज कराये गए मामले में ब्यूरो ने विस्तृत जांच-पड़ताल की। जांच एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट को पलटते हुए आरपीएस जितेन्द्र आंचलिया व दो अन्य मनोज श्रीमाली व रमेश राठौड़ के खिलाफ आरोप प्रमाणित नहीं मानते हुए मामले में कितन चीट दी। जांच एजेंसी ने सिर्फ उप निरीक्षक रोशनलाल को आरोपी माना है। इस संबंध में महानिदेशक एसीबी ने 29 जनवरी को ही जांच एप्रूव कर आदेश पारित कर दिए थे। जांच एजेंसी के निर्णय के खिलाफ परिवादी एनआरआई नीरज पूर्विषा द्वारा हाईकोर्ट में अपील की और राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधिपिति फरवंद अली की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए जांच एजेंसी के आरपीएस जितेंद्र आचलिया व दो अन्य मनोज श्रीमालों व रमेश राठौड़ को मामले में एजेंसी द्वारा क्लिन चिट देने के निर्णय की पुष्टि करते हुए आदेश में लिखा कि इनके खिलाफ जब कोई मामला ही नहीं बनता है तो क्यों इन्हें बेवजह झूठा फंसाया गया है। एलआरआई द्वारा मामले की सीबीआई द्वारा जांच की याचिका भी खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने इस संबंध में विस्तृत पूरक रिपोर्ट उदयपुर ट्रायल कोर्ट में पेश करने के लिए एसोषी को निर्देशित किया है। एनआरआई व अन्य की याचिकाओं पर सभी पक्षों की दलीलों व मामलों में एसीची द्वारा पेश विस्तृत सबूतों के आधार पर खंडपीठ के न्यायाधिपति ने यह फैसला सुनाया है।
एसीबी डीजी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कोर्ट में हुए हाजिर मामले की सुनवाई के दौरान एसीबी के महानिदेशक रवि महेरड़ा भी पौठियों कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट रूम से जुड़े रहे एवं अदालत में जांच एजेंसी का पक्ष रखा। कोर्ट में सवालों के जवाब देते रहे। डीजी एसीबी ने कोर्ट को बताया कि आरपीएस जितेंद्र आंचलिया के विरुद्ध कोई मामला नहीं बनता है। एक ही परिवार के दी पक्षों के बीच में विवाद समास कराने के लिए शांति समझौता कराया जो उनकी ड्यूटी का पार्ट था। आंचलिया ने कुछ गलत नहीं किया है और ना ही उनके द्वारा अपने पद एवं अधिकारों का दुरुपयोग किया गया।
एनआरआई की साजिश का हुआ खुलासा
दोबारा हुई जांब में भाई की सम्पत्ति हड़पने के लिए आरपीएस जितेन्द्र चिलिया व अन्य लोगों को झूठा फंसाने की एनआरआई गरज पूर्विया की साजिश का राजफाश हुआ। जब एसीबी के पूर्व जांच अधिकारी ने एसआई रोशनलाल के साथ डिप्टी जितेन्द्र आंचलिया व दो अन्य मनोज श्रीमाली व रमेश राठौड़ के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया था तो डिप्टी अधिलिया की याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर खण्डपीठ ने आरोपों पर रोक लगाते हुए पूरे मामले में एसीबी व राज्य सरकार को तलब किया गया तब राज्य सरकार द्वशा कराई गई उच्वस्तरीय जांच में चौकाने वाले खुलासे हुए कि डिप्टी जितेन्द्र आंगलिया पर तो कोई मामला नहीं बनता है। एनआरआई गौरज पूबिंया के कैंसर से घरे सगे छोटे भाईनीलेश पूर्विया की सम्पतियां हड़पने कलर साजिश रचकर अपनी विधवा भाभी लवलीना पूर्विया के साथ डिप्टी जितेन्द्र आंचलिया व अन्य लोगों के खिलाफ एसीबी में झूठा आरोप लगाकर मामला दर्ज कराया था। मामला हाई प्रोफाईल होने के कारण जांथ एजेंसी ने जब दोबारा जांब की तो डर से लक्लीना इधर-उधर भागती राही तो उसके स्वर्गीय पति के नाम की उदयपुर में शोभागपुरा, रामा जिंदीली, सलुम्बर स्थित समस्त सम्पत्तियों में एसीबी की धौंस पट्टी दिखाकर नामान्तरण अपनी बीमारी से ग्रसित मां के नाम करवा लिया और मां की मृत्यु से पूर्व सभी प्रोपर्टी मां से खुद के नाम रजिस्टर्ड गिफ्ट डीड करवाकर खुद काबिज हो गया। जबकि पति की सम्पत्ति पर उसकी मृत्यु के बाद पत्नी व चच्चें ही अधिकारी होते है ना कि पति के भाई का अधिकार होता है।
एएसआई रोशनलाल की चूक से आए सभी लपेटें में
सबीन्द्रा पूर्विषा ने अपने पति की कैंसर से मृत्यु के बाद जब बराटें पहले पति द्वमा खरीदकर रजिस्टर्ड गिफ्ट से उमे ट्रांसफर किए भूखण्ड को बेचने का प्रयास किया तो नीरज ने विवाद किया और भूखण्ड पर करने का प्रयास किया जिस पर लवलीना द्वारा सुखेर थाने में मामला दर्ज करवा दिया। जिससे दोनों पक्षों ने थाने में आपसी राजीनामा कर लिया और लवलीना ने भूखण्ड किसी और को बेचने की बजाए अपने ही जेठ नीरज का वेच दिया और मामले में कोई कार्यवाही नहीं करने का प्रार्थना पत्र थाने पर दिया जिस पर पुलिस ने मामले में एफआर लगा दी परन्तु एफआर कोर्ट में जांच अधिकारी द्वारा पेश नहीं की गई। इस बीच दोनों पक्षों में फिर विवाद हो गया और पार्शनल रिपोर्ट कोर्ट में स्वीकृत नहीं हो पाई। इसी एफआर को कोर्ट में पेश करने के लिए सब इंस्पेक्टर रोशनलाल ने अपने लिए एक पड़ी और कोर्ट मुंशी के नाम पर पांच सौ-हजार रुपये नीरव से मांगे जिसको एनआरआई ने एसीबी में शिकायत दर्ज कराई। जांच अधिकारी को गुमराह कर सब इंस्पेक्टर के साथ डिप्टी जितेन्द्र आंचलिया व दी अन्य मनोज बीमाली व रमेश राठौड़ को मामले में जुत्ता फंसा दिया था।
दूसरी बार हुई जांच में सब इंस्पेक्टर को ही माना दोषी
एनआरआई नीरज पूर्विया द्वारा एसीबी में रिपोर्ट दी इस पर अनुसंधान अधिकारी एएसपी पुष्णेन्द्र सिंह ने फरियादी के दस्तावेजों, ऑडियो-विडियो रिकॉर्डिंग के आधार पर सब इंस्पेक्टर रोशनलाल, डिप्टी जितेन्द्र आंबलिया, मनोज श्रीमाली प रमेश राठीड़ के खिलाफ पीसी एक्ट एवं भादर्स की धाराओं में अपराध प्रमाणित मानते हुए गिफ्तार कर चालान पेश किया था। इस मामले में लक्लीनर, अंकित मेवाड़ा, निखिल पोरवाल एवं राजेश कोठारी के खिलाफ लाफ अनुसंधान लम्बित रखा गया। इनकी गिरफ्तारी पर जोधपुर हाईकोर्ट ने स्टे पारित कर दिया। इसके पश्चात मामले की पाश्चपावर्ती अनुसंधान अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कैलाश सांदू को सौंपा गया। अनुसंधान अधिकारी द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत बारापे गये चश्मदीद गवाहों के बयान एवं दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 161 के तहत अन्य स्वतंत्र गवाहों के बयान लिए। समस्त ऑडियो विडियो रिकॉर्डिंग तथा अन्य कॉल डिटेल, शाट्सएप चैट विश्लेषण एवं सम्पत्तियों के रेवेन्यू रिपोर्ट के आधार पर सब इंस्पेक्टर रोशनलाल के विरुद्ध पीसी एक्ट की धारा 7, 11 का अपराध प्रमाणित माना गया था तथा डिप्टी जितेन्द्र कुमार आंचलिया, मनोज श्रीमाली व रमेश रातौड़ के खिलाफ अपराम प्रमाणित नहीं माना और उन्हें मामले में क्लिन चिट दी।