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मुंबई। विरार तेरापंथ समाज द्वारा आयोजित श्रावक सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रो साध्वी मंगलप्रभा ने कहा कि प्रकाश, आनंद और शक्ति की यात्रा जहां से प्रारंभ होती है वह सम्यक दर्शन कहलाता है। अनुयायी जन्मजात होते हैं पर श्रावक बनने के लिए व्रत चेतना का जागरण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि संघ की नींव को गहरा करने में साधु साध्वियों श्रावक श्राविकाओं का महनीय बलिदान है। विनय, समर्पण, बुजुर्गों के प्रति सम्मान आदि विशेष गुण संस्कार के रूप में मिले हैं। आज परिवार और समाज के लिए चिंतन का विषय है कि इन गुणों का कितना संवर्धन हो रहा है। जिस संघ के सदस्य विद्याशील, संगठित, विनयवान, समर्पित होते हैं, उनका ग्राफ ऊंचा होता है। साध्वी शौर्य प्रभा ने कहा कि संघ के सच्चे सैनिक बनकर सुरक्षा के लिए सतत चिंतन करना हर श्रावक का दायित्व है। ज्ञानशाला, किशोर मंडल, भिक्षु भजन मंडली, महिला मंडल एवं कन्याओं ने कार्यकम पेश किया। महिला मंडल अध्यक्ष किरण हिंगड़, सभाध्यक्ष अजयराज फुलफगर, मुंबई सभाध्यक्ष मानक धींग, उपाध्यक्ष दलपत बाबेल, मंत्री दिनेश सुतरिया, प्यारचंद मेहता, अणुव्रत समिति मुंबई अध्यक्ष रोशनलाल मेहता, राजेश चौधरी, तरुणा बोहरा, हेमंत धाकड़, संजय धाकड़, मनोज सोलंकी, निर्मल जैन, आशा गुंदेचा, देवीलाल सिंघवी, भगवतीलाल चौहान, मीठालाल धाकड़ ने विचार रखे। आभार सभा मंत्री लक्ष्मीलाल डांगी व संचालन साध्वी राजुलप्रभा ने किया। यह जानकारी रमेश हिंगड़ ने दी।