मुंबई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में शुक्रवार को सोने की कीमतें पहली बार $3,000 प्रति औंस के स्तर को पार कर गईं। वैश्विक अनिश्चितताओं, खासकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुरू किए गए नए टैरिफ युद्ध के चलते सोने की कीमतों में तेजी आई है। आर्थिक और वित्तीय अस्थिरता के खिलाफ सोना हमेशा से एक सुरक्षित निवेश रहा है। भारतीय बाजार में रुपये की कमजोरी भी एक अतिरिक्त कारक है, जिससे कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है।
हाल के महीनों में चांदी की कीमतों में भी तेजी देखी गई है, जिसका मुख्य कारण औद्योगिक मांग में बढ़ोतरी और फंड हाउसों द्वारा ईटीएफ के माध्यम से निवेश किया जाना है। जनवरी के अंत में ट्रंप के दोबारा व्हाइट हाउस में आने के बाद से सोने की कीमतों में 14% और चांदी की कीमतों में 16% की वृद्धि हुई है। सोने का $3,000 के स्तर को पार करना इस कीमती धातु की सदियों पुरानी महत्ता को दर्शाता है, जो बाजार में अस्थिरता और भय का संकेतक भी है। पिछले 25 वर्षों में सोने की कीमत में 10 गुना वृद्धि हुई है, जो अमेरिकी शेयर बाजार के बेंचमार्क एसएंडपी 500 से भी बेहतर प्रदर्शन है, जिसने इसी अवधि में अपनी वैल्यू चार गुना बढ़ाई है।
आमतौर पर सोने की कीमतों में उछाल व्यापक आर्थिक और राजनीतिक तनाव के साथ मेल खाता है। 2008 की वैश्विक मंदी के बाद यह $1,000 प्रति औंस से ऊपर गया था, जबकि कोविड महामारी के दौरान $2,000 का स्तर पार किया था। इस बार सोने की कीमतों में बढ़ोतरी तब भी जारी है जब आमतौर पर इसे प्रभावित करने वाले नकारात्मक कारक—उच्च ब्याज दरें और मजबूत डॉलर—मौजूद हैं।
भारत में सोने की मांग घटी, डिस्काउंट बढ़ा
भारत में इस हफ्ते सोने पर मिलने वाला डिस्काउंट लगभग आठ महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, क्योंकि रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचे दामों के कारण मांग में भारी गिरावट आई है। अन्य प्रमुख बाजारों में भी ग्राहक अभी खरीदारी से बच रहे हैं। चेन्नई के एक बुलियन डीलर के अनुसार, “ज्वेलरी दुकानों में ग्राहकों की संख्या में भारी गिरावट देखी जा रही है। बढ़ती कीमतों के कारण मांग को झटका लगा है।”
गुरुवार को घरेलू बाजार में सोने की कीमत रिकॉर्ड ₹87,886 प्रति 10 ग्राम के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। फरवरी में भारत का सोने का आयात साल-दर-साल 85% घटकर 20 साल के निचले स्तर पर आ गया, क्योंकि ऊंची कीमतों ने मांग को कमजोर कर दिया है।
एसएंडपी 500 में 10% की गिरावट
लगातार बिकवाली के बाद एसएंडपी 500 इंडेक्स अपने शिखर से 10.1% नीचे आ चुका है और अब करेक्शन जोन में प्रवेश कर चुका है। गुरुवार को अमेरिकी बेंचमार्क 1.4% गिर गया, हालांकि शुक्रवार को मिड-डे ट्रेड में यह लगभग 2% उछलकर रिकवरी की ओर बढ़ता दिखा।