भरोसा बढ़ाने वाले फैसलों की प्रतीक्षा

बजट की तैयारी कर रही मोदी सरकार को यह आभास होना चाहिए कि जनता अपनी कई समस्याओं का तत्काल समाधान चाह रही है...

Pratahkal    06-Jan-2025
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Alekha
पिछले लोकसभा चुनाव में जब नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा को । अपने बलबूते बहुमत नहीं मिला तो इसके । कयास लगाए जाने लगे कि गठबंधन सरकार उस वेग और लचीलेपन के साथ कार्य नहीं कर पाएगी, जैसा पिछले दो कार्यकालों में दिखा था। गठबंधन सरकार की अपनी । मजबूरियां होती हैं। तीसरी पारी में मोदी । सरकार को अपना एजेंडा इसे ध्यान में रखकर बढ़ाना है कि वह नीतीश कुमार की जदयू और चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी के समर्थन पर निर्भर है। मोदी सरकार अपने । तीसरे कार्यकाल के लगभग सात माह पूरे कर । चुकी है। इस दौरान ऐसा लगा कि वह कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा तय किए जा रहे नैरेटिव और उनके विरोध के कारण उस गति से आगे नहीं बढ़ पा रही है, जिसकी अपेक्षा की थी। यह साफ दिख रहा है कि उसे वक्फ अधिनियम, एक देश-एक चुनाव पर विपक्ष के दबाव का सामना करना पड़ रहा है। इसकी भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल का अपना । जो पहला बजट पेश किया, उसमें ऐसे । क्रांतिकारी कदम नहीं दिखे, जो देश की मूलभूत समस्याओं का निराकरण कर पाते। यदि संसद के पिछले सत्रों को देखा जाए तो मोदी सरकार महत्वपूर्ण समझा जाने वाला । एकमात्र बिल भारतीय वायुयान विधेयक ही पारित करा सकी है।
 
पिछली सरकारों की तरह मोदी सरकार भी रह-रहकर होने वाले विधानसभा चुनावों का सामना करती है। बार-बार चुनावों के चलते सत्तापक्ष को विपक्ष को जवाब देने के लिए उस जैसे ही तौर तरीके अपनाने पड़ते हैं। कई बार तो उसे न चाहते हुए भी वह सब करना पड़ता है, जो आर्थिक दृष्टि से सही नहीं महाराष्ट्र में भाजपा को प्रचंड जीत मिली। मध्य प्रदेश, हिमाचल, कर्नाटक और झारखंड में भी ऐसी योजनाएं वोट हासिल करने का जरिया बनीं। अब दिल्ली में आम आदमी पार्टी भी इसी तरह की योजना लेकर आई है। राजनीतिक दल चाहें जो दावा करें, सरकारी कोष पर बोझ बनने वाली ऐसी योजनाओं को संचालित करने से बुनियादी बदलाव लाने वाली योजनाएं शुरू करने में समस्या होती है।
 
मोदी सरकार कुछ दूरगामी प्रभाव वाली नीतियों पर कार्य कर रही है, जैसे जल प्राधिकरण बनाने की तैयारी। उसने तीन नए आपराधिक कानूनों पर अमल भी शुरू किया है। इसके अलावा मोदी सरकार ने कुछ अन्य ऐसी योजनाएं शुरू की हैं, जो प्रभावशाली हैं, लेकिन उनके नतीजे सामने आने में समय लगेगा। कोई नहीं जानता कि महत्वाकांक्षी उद्देश्य वाले जल प्राधिकरण के गठन का लाभ कब तक मिलने लगेगा। इसी तरह यह कहना भी कठिन है कि राष्ट्रीय जल नीति कब तक प्रभावी रूप में लागू हो सकेगी। ध्यान रहे कि अभी जनता को शुद्ध पेयजल के ही लाले पड़े रहते हैं। यह ठीक है कि हर घर नल योजना आगे बढ़ रही है, लेकिन क्या वह सभी को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करा पा रही है? आज भारत जिन समस्याओं से जूझ रहा है, वे पिछले कई वर्षों में अनदेखी के चलते गंभीर रूप ले चुकी हैं। उदाहरणस्वरूप शहरों का चरमराता आधारभूत ढांचा, बिगड़ती हुई आबोहवा और नदियों का अत्यधिक प्रदूषित होते जाना। ये समस्याएं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बन रही हैं। तथ्य यह भी है कि किसानों की हालत सुधारने के अनेक कदम उठाए जाने के बाद भी उनकी आय दोगुना करने का लक्ष्य दूर है। मोदी सरकार न्यायपालिका की कार्यप्रणाली में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं कर सकी है। समय पर न्याय सुलभ होना एक दूर की कौड़ी है। न तो न्यायपालिका में सुधार हो पा रहा है और न ही नौकरशाही में। नौकरशाही में निचले स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार कम होने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसा इसलिए है कि उसे जवाबदेह नहीं बनाया जा पा रहा है। इसी तरह पुलिस सुधार भी लंबित ही है। मोदी सरकार अपने पिछले कार्यकाल में जो नई शिक्षा नीति लाई थी, उस पर अमल बहुत धीमी गति से हो रहा है। अभी इस नीति के सकारात्मक प्रभाव दिखने शुरू नहीं हुए हैं। एक ओर जहां उच्च शिक्षा के लिए बड़ी संख्या में युवा विदेश की ओर रूख कर रहे हैं, वहीं जो युवा भारत में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, वे रोजगार पाने में परेशानी का सामना कर रहे हैं। युवाओं की जितनी भीड़ सरकारी नौकरियां पाने के लिए लालायित दिखती है, उतनी नौकरियां हैं नहीं। चूंकि जरूरी समझे जाने वाले राजनीतिक सुधार भी नहीं हो पा रहे हैं, इसलिए राजनीति जनसेवा के लक्ष्य से दूर होती जा रही है। वह येन-केन प्रकारेण वोट बैंक बनाने का जरिया बन गई है।
 
मोदी सरकार न तो अपने समक्ष उपस्थित चुनौतियों से अनभिज्ञ हो सकती है और न ही इससे कि जनता की बेचैनी बढ़ती जा रही है। यह सही है कि मोदी सरकार कई बुनियादी समस्याओं के हल के लिए प्रयत्नशील है, लेकिन उसे यह ध्यान रखना होगा कि जनता अपनी कई समस्याओं का तत्काल समाधान चाहती है। ऐसा तभी हो सकेगा, जब समस्याओं के समाधान के लिए जरूरी इच्छाशक्ति का परिचय दिया जाएगा। मोदी सरकार इच्छाशक्ति तो दिखा रही है, लेकिन यह कहना कठिन है वह विभिन्न क्षेत्रों में सुधारों को समय रहते आगे बढ़ा सकेगी। अच्छा हो कि मोदी सरकार अगले माह जो बजट पेश करने जा रही है, उसके जरिये न केवल यह दिखाए कि बहुमत से दूर रहने के बाद भी वह एक सक्षम सरकार है और अपने एजेंडे को लागू करने के लिए अडिग है। इससे भी आवश्यक यह है कि आगामी बजट जनता में यह भरोसा बढ़ाने वाला साबित हो कि उसकी कुछ समस्याओं का शीघ्र और प्रभावी तरीके से समाधान होने जा रहा है।