Saturday, 15 March, 2025

बडाला के चारों हत्याभियुक्तों को आजीवन कारावास की सज़ा

Pratahkal    18-Jan-2025
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badala crime
मुंबई। वसई सत्र न्यायालय ने गुरुवार को साल 2016 में एक 27 वर्षीय महिला की हत्या के मामले के चार आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। महिला की हत्या के एक दिन बाद आरोपियों ने उसके पिता से, जो एक जूलरी स्टोर में काम करते हैं, 30 लाख रुपये नकद और 3 किलो सोना फिरौती के रूप में मांगा था। फिरौती लेने पहुंचे आरोपियों को पुलिस ने पकड़ लिया।
 
ज्ञात हो कि विरार के अर्नाला क्षेत्र में अपने पीहर वालों के साथ रहने वाली कविता बडाला ठाणे प्रवासी अशोक बडाला (पडासली) की पत्नी थी। वह रत्नम इन्फोटेक नामक मल्टी-लेवल मार्केटिंग कंपनी में काम करती थीं। 15 मई 2016 को आरोपियों ने कविता को विरार के एक फ्लैट में बुलाया। उसी दिन कविता ने अपने परिवार को बताया था कि वह ग्लोबल सिटी, विरार पश्चिम में एक क्लाइंट से मिलने जा रही हैं। फ्लैट में आरोपी मोहित कुमार भगत (33) ने कविता से रत्नम इन्फोटेक में लगाए गए अपने पैसे वापस मांगे। जब कविता ने मना किया, तो चारों आरोपियों ने मिलकर उसकी हत्या कर दी।
 
हत्या के बाद, आरोपी महिला यूनिता श्रवणन (43) ने कविता का लैपटॉप बैग अंधेरी रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिया, ताकि पुलिस को गुमराह किया जा सके। वहीं, मोहित और रामावतार शर्मा (34) ने कविता के शव को एक सूटकेस में भरकर पालघर जिले के साखरे गांव के जंगल में फेंक दिया। अगले दिन (16 मई) वे जंगल लौटे और शव को जलाने की कोशिश की, लेकिन सूटकेस और शव पूरी तरह नहीं जल सके।
  
हत्या के दो दिन बाद, आरोपियों ने उसके पिता किशनलाल कोठारी (रिछेड़) को फोन किया और 30 लाख रुपये नकद तथा तीन किलो सोना मांगा था। अपहृता के पिता किशन कोठारी ने इसकी शिकायत अर्नाला पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई थी। उसके बाद अपहरण और फिरौती का मामला दर्ज करके पुलिस की कई टीमें कविता की तलाश में लग गईं। 18 मई को फिरौती लेने आए आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
 
गुरुवार को वसई जिला अदालत ने मोहित कुमार भगत, रामावतार शर्मा, शिवकुमार शर्मा (33) और यूनिता श्रवणन को हत्या, अपहरण, फिरौती और सबूत नष्ट करने के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही उन पर 61,000 रुपये का जुर्माना लगाया, जिसे मृतका के पिता को दिया जाएगा।
इस मुकदमे में कुल 53 लोगों की गवाही के बाद न्यायमूर्ति एस.वी. खोंगल ने फैसला सुनाया। मृतका के पक्ष से एडवोकेट जयप्रकाश पाटील ने पैरवी की।
मृतका के पिता किशनलाल ने अदालत के फैसले पर कहा, "आरोपियों को फांसी दी जानी चाहिए थी।"