मुंबई: साइबर अपराधियों की जालसाजी का शिकार कोई भी हो सकता है। खार इलाके के एक चायवाले विनय प्रजापति (38) को अतिरिक्त कमाई के लालच में साइबर ठगों ने ऐसा फंसाया कि वह न केवल अपनी जमा पूंजी से हाथ धो बैठा, बल्कि अब 4 लाख रुपये के कर्ज तले दब गया है। शुरुआत में होटल रिव्यू देकर कमाई का झांसा देकर उसे फर्जी निवेश योजना में फंसा दिया गया, जिसमें उसने अपनी मेहनत की 3.13 लाख रुपये की बचत गंवा दी। नुकसान की भरपाई के लिए उसने दोस्तों से 4 लाख रुपये उधार लिए, जिसे चुकाने में वह अब संघर्ष कर रहा है।
शनिवार को पुलिस ने इस ठगी में शामिल पुणे के 25 वर्षीय धनंजय साल्वी को गिरफ्तार किया। जांच में पता चला कि साल्वी ने अपने बैंक खाते का उपयोग ठगों को करने दिया, जिसमें चायवाले द्वारा जमा की गई रकम रखी जाती थी।
कैसे हुई ठगी?
चायवाले ने अपनी शिकायत में बताया कि उसे व्हाट्सएप पर होटल रिव्यू देकर पैसे कमाने का झांसा दिया गया। शुरुआत में उसने 1,000 रुपये लगाए और उसे 1,300 रुपये मिले। फिर उसने 2,000 रुपये का निवेश किया, जिसके बदले 5,000 रुपये उसके खाते में आए। इससे वह ठगों पर विश्वास करने लगा।
इसके बाद उसने 8,000 रुपये का निवेश किया, लेकिन कोई पैसा वापस नहीं आया। ठगों ने उसे और पैसे लगाने का झांसा देकर फंसा लिया। वह दोस्तों से उधार लेकर निवेश करता गया, लेकिन अंततः ठगों ने उससे संपर्क बंद कर दिया।
गिरफ्तारी और ठगों की योजना
पुलिस के अनुसार, पुणे का आरोपी धनंजय साल्वी गैस एजेंसी में काम करता है और उसने अपने बैंक खाते का उपयोग ठगों के लिए किया। उसके खाते में 7.5 लाख रुपये जमा किए गए थे, जिसमें से 14 लाख रुपये उसने राजस्थान के एक साथी को भेजे। इसके बदले उसे 20,000 रुपये का कमीशन मिला। मुख्य ठग, जो राजस्थान का है, फिलहाल फरार है।
पुलिस टीम की कार्रवाई
इस मामले को डीसीपी दीक्षित गेडाम के नेतृत्व में सुलझाया गया। पुलिस टीम में एसीपी मारुति पंडित, वरिष्ठ निरीक्षक वैभव शिंगारे, निरीक्षक ज्योति हिबारे, उपनिरीक्षक दीपक बसरकर और विजय सरदेसाई सहित अन्य अधिकारी शामिल थे।
साइबर विशेषज्ञों और अधिकारियों की सलाह
साइबर विशेषज्ञ रितेश भाटिया ने बताया, “ठग शुरुआत में लोगों को छोटे इनाम देकर विश्वास जीतते हैं।”
राज्य साइबर विभाग के डीआईजी संजय शिंत्रे ने चेतावनी दी कि ऐसे “टास्क फ्रॉड” के लिए व्हाट्सएप पर नौकरी के प्रस्ताव दिए जाते हैं।
फ्रॉड से बचने के उपाय
1. और पैसे न दें।
2. सभी महत्वपूर्ण जानकारी और दस्तावेज इकट्ठा करें।
3. अपनी पहचान और खाते की सुरक्षा करें।
4. धोखाधड़ी की सूचना तुरंत अधिकारियों को दें।
5. बीमा कवरेज और अन्य वित्तीय सहायता की जांच करें।
6. ऑनलाइन व्यवहार में सुधार करें और ठगी के प्रति जागरूक रहें।