ट्रेन की स्पीड 130 किमी थी, फाटक खुला, 50 मीटर पहले रूकी

25 Sep 2024 11:01:24
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कार्यालय संवाददाता जयपुर। राजस्थान (Rajasthan) में सवाई माधोपुर (Sawai Madhopur) से कोटा (Kota) के बीच 108 किमी का रेलवे (Railway) ट्रैक अब कवच से लैस हो गया है। रेलवे ने यहां स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली (ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम) ( Automatic Train Protection System) कवच 4.0 को स्थापित कर दिया है। खुद रेल मंत्री (Railway Minister) अश्विनी वैष्णव ( Ashwini Vaishnav) ने आज (24 सितंबर 2024) राजस्थान में 'कवच 4.0' की टेस्टिंग की। उन्होंने सवाई माधोपुर से सुमेरगंज मंडी तक ट्रेन के लोको में सफर किया। कवच सिस्टम दो ट्रेनों को आमने-सामने आने पर ऑटोमैटिक रोकने का काम करता है। इसके साथ ट्रेन की स्पीड को भी कंट्रोल में रखता है।
 
टेस्ट 1: फाटक खुला था, कवच ने 50 मीटर दूर रोक दी ट्रेन
 
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्रायल के बीच सवाई माधोपुर से कोटा के बीच ट्रेन में सफर किया। लोको पायलट ने ट्रेन को 130 किमी तक दौड़ाया। जैसे ही ट्रेन एक रेलवे फाटक के पास आई, कवच सिस्टम ऑन हो गया। फाटक खुला था, इसलिए कवच सिस्टम ने ट्रेन को 50 मीटर दूर ही रोक दिया।
 
टेस्ट 2 : ट्रेन की स्पीड को 120 से 130 किमी प्रति घंटे की स्पीड पर मेंटेन किया
 
लोको पायलट (loco pilot) ने ट्रेन की स्पीड (Speed) को 130 किमी तक बढ़ाया। कवच सिस्टम ने क्षेत्र के लिए ट्रेन की स्पीड को नियंत्रित किया और गति 130 किमी तक हो गई। इस टेस्ट को परमानेंट स्पीड रस्ट्रिक्शन टेस्ट कहते हैं। रेल कवच एक ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है। इसे 'ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम' यानी टीसीएएस कहते हैं। यह भारत (India) में 2012 में बनकर तैयार हुआ था। इंजन और पटरियों में लगे इस डिवाइस की मदद से ट्रेन की ओवर स्पीडिंग को कंट्रोल किया जाता है। इस तकनीक में किसी खतरे का अंदेशा होने पर ट्रेन में अपने आप ब्रेक लग जाता है। तकनीक का मकसद ये है कि ट्रेनों की स्पीड चाहे कितनी भी हो, लेकिन कवच के चलते ट्रेनें टकराएंगी नहीं। सेफ्टी इंटीग्रिटी लेवल 4 सर्टिफाइड रेल कवच को रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन यानी आरडीएसओ ने बनाया है।
 
रेल कवच दो ट्रेनों के बीच टक्कर को रोकता कैसे है?
 
इस टेक्नोलॉजी में इंजन माइक्रो प्रोसेसर, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम यानी जीपीएस और रेडियो संचार के माध्यम सिग्नल सिस्टम और कंट्रोल टावर से जुड़ा होता है। यह ट्रेन के ऐसे दो इंजनों के बीच टक्कर को रोकता है, जिनमें रेल कवच सिस्टम काम कर रहा हो।
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