जयपुर (कार्यालय संवाददाता)। पूर्व सांसद खिलाड़ी लाल बैरवा (Lal Bairava) का भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) से मोहभंग हो गया है। उन्होंने भाजपा (BJP) की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौर (Madan Rathore) को भेजे इस्तीफे में कहा है कि वह पार्टी की विचारधारा से खुद को जोड़ नहीं सके और इसलिए अलग होने का फैसला किया। सचिन पायलट ( Sachin Pilot) के करीबी माने जाते रहे बैरवा ने इस्तीफे में एक बार फिर कांग्रेस (Congress) नेता और पूर्व सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) को ही निशाने पर रखा है।
बसेड़ी से विधायक रह चुके बैरवा ने लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष रहे बैरवा पूर्व सांसद भी हैं। उन्होंने भाजपा से इस्तीफा देते हुए लिखा, भाजपा और कांग्रेस अलग-अलग विचारधाराएं हैं। मैंने और मेरे कार्यकर्ताओं ने भाजपा जॉइन की, लेकिन काफी प्रयास के बाद भी मैं भाजपा की विचारधारा से अपने आप को जोड़ नहीं पा रहा हूं। मैंने 33 वर्ष कांग्रेस में सक्रिय राजनीति की है। विचारधारा मेरे खून में शामिल हो गई है। मुझे भाजपा से कोई शिकायत नहीं है, लेकिन मैं और मेरे साथी कार्यकर्ता भारतीय जनता पार्टी से अलग होते हुए प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं।
गहलोत को भला-बुरा कहते हुए भाजपा में गए बैरवा ने अब भगवा पार्टी को छोड़ते हुए भी कांग्रेस नेता को ही निशाने पर रखा। उन्होंने नाम लिए बिना इस्तीफे के अधिकतर हिस्से में गहलोत पर ही आरोप लगाए हैं। उन्होंने लिखा, पूर्व मुख्यमंत्री (कांग्रेस) द्वारा अपने चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की लालसा में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को बाहर करने का असफल प्रयास किया। पायलट साहब के गुट के लोगों के फोन टेप करवाए। मेरा भी फोन टेप करवाया गया। कुछ खास चापलूस लोगों की सिफारिश पर राजस्थान के इतने टुकड़े-टुकड़े कर दिए। पंचायत समिति स्तर के क्षेत्रफल वालों को जिले बना दिए। समाज के इतने टुकड़े कर इतने समाजिक बोर्ड बना दिए, जिनका स्वंय को भी पता नहीं।
उन्होंने आगे लिखा, 18% अनूसूचित जाति के लोगों के लिए आयोग को मैंने वैधानकि दर्जे की बात की तो क्या गुनाह कर दिया। अंतिम छह माह में सरकार द्वारा लिए फैसलों की समीक्षा में चार बिंदुओं पर समीक्षा हो। मैं सरकार से मांग करता हूं। 1- जिले बनाना, 2 सामाजिक बोर्ड बनाना, 3- फोन टेपिंग मामला, 4- अनुसूचित जाति आयोग को वैधानिक दर्जा वाला मामला।