राजस्थान कांग्रेस में कलहः हरीश चौधरी के निशाने पर गहलोत, बोले- पायलट में नेतृत्व क्षमता

17 Jul 2024 11:26:13
Rajasthan 
 
कार्यालय संवाददाता जयपुर। राजस्थान (Rajasthan) में विधानसभा (Vidhansabha) उप चुनाव से पहले कांग्रेस (Congress) की कलह खुलकर सामने आ गई है।
 
पंजाब के प्रभारी रहे और बाच्तु से विधायक हरीश चौधरी नेइशारों में पूर्व सीएम अशोक गहलोत पर निशाना साधा है। हरीश चौधरी ने एक इंटरव्यू में कहा है कि सचिन पायलट में नेतृत्व क्षमता है। इसीलिए आलाकमान ने उन्हें 36 साल की उम्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया था। वे पार्टी को 21 सेंटों से 100 सीटों तकले गए। राजस्थान में उनके कारण कांग्रेस को सरकार बनी। उनकी क्षमताओं पर किसी को कोई संदेह नहीं है। हरीश चौधरी ने कहा कि सरकार बचाने के लिए फोन टैपिंग अनैतिक है। चैधरी ने लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) में कब्रिस के बेहतर प्रदर्शन का श्रेय सचिन पायलट (Sachin Piolt) को भी दिया। फिलहाल वे कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हैं और कांग्रेस के स्टार प्रचारक के तौर पर देशभर में चुनावी दौरे पर निकलते हैं। इन सबके बीच पाचलट अपने विधानसभा क्षेत्र टोक और राजस्थान की अन्य सौदों पर भी लगतार सक्रिय है। पायलट की सक्रियता के बीच उनके साथ नेताओं की बढ़ती संख्या अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के लिए अच्छी खबर नहीं है, जो बीमारी के चलते अभी बेड रेस्ट पर हैं।
पूर्व विधायक दानिश अबरार ने पायलट से कांगी माफी
 
दूसरी तरफ सचिन पायलट कल सवाईमाधोपुर के दौर पर थे, जहाँ आयोजित एक जनसभा में पूर्व विधायक दानिश अबरार ने पायलट का साथ छोड़ने की अपनी गलती को सार्वजनिक तौर पर मानते हुए कहा कि सचिन पायलट हमारे नेता है और हम पूरी तरीके से उनके साथ हैं। अबरार ने कहा कि वह गुर्जर समाज से माफी मांगते हैं और भविष्य में भी वह पायलट के साथ खड़े रहेंगे। बता दें पायलट को बगावत के समय दानिश अबरार ने अशोक गहलोत का साथ दिव था। लेकिन अब दानिश अबरार पलटी मारते हुए दिखाई दे रहे है। गौरतलब है कि तनिश अबरार उन 3 विधायकों में से एक थे जो सियासी संकट के दौरान मानेसर में पाचलट खेमे से जयपुर लौटे थे। अशोक गहलोत ने कई बार सार्वजनिक मंचों पर कहा था कि अगर दानिश और दो अन्य विधायकों ने उन्हें समय पर सूचना नहीं वे होती तो राजस्थान में सरकार गिर सकती है। इनिश अबरार उन चंद विधायकों में से एक थे जिन्होंने राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन के लिए सचिन पायलट को डटे रहने की सलाह दी थी। बाद में उन्होंने खुद ही पाला बदल लिया और अशोक गहलोत के खेमे में चले गए।
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