देवशयनी एकादशी के बाद 4 महीने तक बंद होंगे मांगलिक कार्य

10 Jul 2024 12:30:46
devshayani ekadashi 
 
देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) का व्रत हर वर्ष आषाढ़ माह (Ashadh month) के शुक्ल पक्ष (Shukla Paksha) की एकादशी (Ekadashi) तिथि को रखा जाता है। माना जाता है कि इस दिन से जगत के पालनहार भगवान विष्णु (Lord Vishnu) योग निद्रा में चले जाते हैं। देवशयनी एकादशी के बाद अगले चार महीनों तक भगवान विष्णु योग निद्रा (yoga nidra) में ही रहते हैं, इसलिए किसी भी तरह का शुभ मांगलिक कार्य इस वैरान नहीं किया जाता। भगवान विष्णु की योग निद्रा के काल को चतुर्मास (Chaturmas) के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में आइए जान लेते हैं कि देवशयनी एकादशी कब है और जुलाई में शुभ मांगलिक कार्यों को करने के लिए अव कितने दिन बचे हैं।
 
देवशयनी एकादशी है जुलाई में इस दिन
 
जुलाई के महीने में गुप्त नवरात्रि की समाप्ति के बाद देवशयनी एकादशी व्रत रखा जाएगा। 15 जुलाई को गुप्त नवरात्रि का समापन होगा और 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी होगी। इसी दिन से चतुर्मास का आरंभ भी हो जाएगा। 11 नवंबर 2024 तक चतुर्मास काल चलेगा। इस दौरान विवाह, मुंडन, ग्रह प्रवेश जैसे किसी भी शुभ-मांगलिक कार्य को करने की मनाही होगी। आइए अब जान लेते हैं देवशयनी एकादशी से पहले जुलाई में शुभ कार्यों को करने के लिए कौन-कौन से दिन शुभ माने जा रहे हैं। अगर आप ग्रह प्रवेश या बच्चे का मुंडन करना चाहते हैं, घर में विष्णु भगवान के निमित्त पूजा रखवाना चाहते हैं, विवाह करना चाहते हैं तो 17 जुलाई से पहले आपके लिए कुछ दिन शुभ साबित होंगे। जुलाई में 9 तारीख के साथ ही 11 से लेकर 17 तारीख का समय मांगलिक कार्यों को अच्छा रहेगा। 16 तारीख को शुभ मांगलिक कार्यों के लिए बहुत अच्छा नहीं माना जा रहा। हालांकि 17 जुलाई को कुछ शुभ मुहूर्त अवश्य रहेंगे। नवंबर 11 तारीख को चतुमाँस समाप्ति के बाद विवाह, मुंडन जैसे कार्यों के लिए शुभ तिथियां होंगी।
 
चतुर्मास में भगवान शिव की पूजा करना बेहद शुभ
 
देवशयनी एकादशी के बाद जब भगवान विष्णु चार महीनों की योग निद्रा में चले जाते हैं तो हैं। भगवान शिव जगत का कार्यभार संभालते इसीलिए चतुर्मास के वैरान भगवान शिव की पूजा का बड़ा महत्व माना गया है। सावन में अगर आप भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा आराधना करते हैं तो आपके जीवन के सभी कष्ट दूर हो सकते हैं। शिव साधना से आपका आध्यात्मिक उत्थान भी होता है, जो लोग अध्यात्मिक गतिविधियों में संलिप्त हैं उन्हें विशेष अनुभव भी इस वैरान होते हैं। इसके साथ अविवाहित लोगों के लिए भी यह समय बेहद खास माना गया है, साचन के किसी भी सोमवार से शुरू करके अगले 16 सोमवार तक अगर कोई अविवाहित जातक व्रत रखता है तो उसे भगवान शिव की कृपा से योग्य वर या बयु की प्राप्ति होती है।
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