जालना। तेरापंथ धर्मसंघ (Terapanth Dharma Sangha) के आचार्य महाश्रमण (Acharya Mahashraman) के 50वें दीक्षा कल्याण महोत्सव (Diksha Kalyan Mahotsav) वर्ष सम्पन्नता पर यहाँ भव्य आयोजन हुआ। युवक परिषद आज के दिन को युवा दिवस के रूप में आयोजित करती है। आराध्य के वर्धापन का क्रम ब्रह्म मुहूर्त से प्रारम्भ हुआ जो सूर्योदय के साथ चरम तक पहुंचने लगा। आचार्यश्री के महामंत्रोच्चार के साथ दीक्षा कल्याण महोत्सव समारोह के शिखर दिवस का शुभारम्भ हुआ। ज्ञानार्थियों ने प्रस्तुति दी। समणीवृंद ने गीत का संगान किया। साध्वीवृंद व संतों ने भी गीत के माध्यम से अर्चना की। युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश डागा व अनेक पदाधिकारियों ने प्रस्तुति दी। आचार्य महाश्रमण के संसारपक्षीय परिवार ने एक डाक्यूमेंट्री की प्रस्तुति दी। उनके ज्येष्ठ भ्राता सुजानमल दूगड़ ने अपने भाइयों के साथ आज्ञा पत्र का प्रारूप सौंपा। परिवार ने गीत का संगान किया।
साध्वीवर्या सम्बुद्धयशा, मुख्य मुनि महावीर कुमार व साध्वी प्रमुख विश्रुतविभा ने 50वें दीक्षा कल्याण महोत्सव वर्ष की पूर्णता पर ‘संवाद महाश्रमण भगवान से’ कार्यक्रम की आध्यात्मिक प्रस्तुति दी गई तो पूरा वातावरण आध्यात्मिकता से भर उठा। तीनों ने आचार्यश्री से दीक्षा व संयम जीवन पर प्रश्न किये और उनके जवाबों से सभी भावविभोर हो गए। आचार्यश्री ने कहा कि आज के दिन मुनि सुमेरमल स्वामी (लाडनूं) से दीक्षा प्राप्त हुई। पचास वर्षों के बाद आज का दिन आया है। मैंने इस दौरान ध्यान की साधना में भी समय लगाया है। कंठस्थ करना, ज्ञान सीखना, चितारना करना आदि कार्य किया। परम पूज्य गुरुदेव तुलसी, परम पूज्य महाप्रज्ञजी तथा अनेक संतों के साथ रहना हुआ। मुझे पचास वर्षों में कई से प्रेरणा व आगमों आदि से मिली। कई संकल्प ऐसे जागे, जिन पर आज भी चल रहे हैं। इस प्रकार मंच पर साध्वी प्रमुख, मुख्यमुनि व साध्वीवर्या अपनी जिज्ञासाएं प्रस्तुत करते रहे और आचार्यश्री उन्हें समाहित करते रहे।
समारोह में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, जालना सांसद रावसाहेब दानवे उपस्थित थे। जालना व्यवस्था समिति अध्यक्ष सचिन पिपाड़ा ने स्वागत किया। महासभा के मुख्य न्यासी महेन्द्र नाहटा ने महासभा चिकित्सा सहयोग योजना शुरू करने की घोषणा की। महासभा अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया ने सेवा साधक श्रेणी शुरू करने की घोषणा की।
साध्वीवर्या ने साध्वी प्रमुख विश्रुतविभा के तीसरे चयन दिवस पर मंगलकामना की। साध्वी प्रमुख ने भी आचार्यश्री की अभ्यर्थना करते हुए आज के दिन स्वयं के चयन अवसर पर दायित्व के निर्वहन का आशीर्वाद मांगा। साध्वी समाज की ओर रजोहरण, प्रमार्जनी व दीक्षा कल्याण महोत्सव का एलवान समर्पित किया गया। जिसे मुख्य मुनि ने गुरुदेव को धारण करवाया।
आयोजन में आचार्य महाश्रमण ने मंगल पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आज विक्रम संवत 2081 है। आज से पचास वर्ष पूर्व विक्रम सम्वत 2031 को मुझे संन्यास दीक्षा लेने का महान सौभाग्य प्राप्त हुआ था। कोई-कोई मनुष्य ऐसे होते हैं, जो बचपन में ही साधुता का जीवन स्वीकार कर लेते हैं और धर्म-अध्यात्म पर चलने को तैयार हो जाते हैं। परम पूजनीय आचार्य तुलसी की आज्ञा से मुनि सुमेरमल स्वामी ‘लाडनूं’ ने आज के दिन मुझे और मुनि उदितकुमार स्वामी को एक साथ दीक्षा प्रदान की। संन्यास जीवन की आधी शताब्दी सम्पन्न हुई है और शताब्दी का उत्तर्राध शुरु हुआ है। आचार्य तुलसी के समय दीक्षा हुई और आचार्य महाप्रज्ञ के सान्निध्य में रहने, साधना, पढ़ने का अवसर मिला। गुरुओं का चिंतन, भाग्य का योग हुआ, जिस संघ में मैं बाल संत के रूप में दीक्षित हुआ था, उस धर्मसंघ का पूरा जिम्मा भी मुझे सौंप दिया गया। उस धर्मसंघ का सर्वोच्च नेतृत्व सौंपा गया। संन्यास व साधुता इतनी बड़ी चीज है कि उसके सामने भौतिक सुविधाएं नाकुछ के समान होती हैं। मैं आज गुरुदेव तुलसी व मुनि सुमेरमल स्वामी को स्मरण व वंदन करता हूं। आचार्य महाप्रज्ञ जिन्होंने संघ का सर्वोच्च दायित्व मुझे सौंपा था, मैं उनका भी श्रद्धा के साथ स्मरण करता हूं। मेरे माता-पिता ने मुझे धर्म की ओर आगे बढ़ाया। मेरी दीक्षा में मेरे संसारपक्षीय ज्येष्ठ भ्राता सुजानमल का भी योगदान रहा। मेरा यह संन्यास का जीवन तेजस्वी, तेजस्वीतर, तेजस्वीतम बना रहे। मेरे सहदीक्षित मुनि उदितकुमार स्वामी के प्रति भी मंगलकामना करता हूं।
उन्होंने कहा कि 6 फरवरी 2026 को योगक्षेम वर्ष की दृष्टि प्रवेश का भाव है व एक वर्ष से कुछ ज्यादा समय लाडनूं में रहने का भाव है। 2027 के मर्यादा महोत्सव के बाद विहार कर सरदारशहर जाने का भाव है। समणी अक्षयप्रज्ञा व समणी प्रणवप्रज्ञा के श्रेणी आरोहण की दृष्टि से सूरत में पहला दीक्षा समारोह 19 जुलाई को साध्वी दीक्षा देने का भाव है।