मुंबई। आयकर विभाग (Income Tax Department) ने पिछले 20 महीनों में उन व्यक्तियों से 37,000 करोड़ रुपये की वसूली की है, जो कर योग्य आय होने के बावजूद रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे थे। अधिकारियों ने बताया कि 2019-20 से नकद में किए गए हाई-वैल्यू लेनदेन, जैसे रत्न-ज्वैलरी की खरीद, संपत्ति और लक्जरी छुट्टियों पर खर्च का डेटा विश्लेषित किया गया।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह वसूली उन मामलों में की गई, जहां लोग बड़े खर्चों के बावजूद रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे थे। पिछले 20 महीनों के दौरान ऐसे व्यक्तियों से संपर्क किया गया।
सख्त टैक्स संग्रह और स्रोत पर कटौती (टीडीएस) प्रणाली ने भी ऐसे हाई-वैल्यू लेनदेन को ट्रैक करने में मदद की, जो पहले नजरअंदाज हो सकते थे। अधिकारी ने यह भी बताया कि कुछ मामलों में बड़े खर्चों और टैक्स देनदारी के बावजूद शून्य आय दिखाते हुए रिटर्न दाखिल किया गया था।
37,000 करोड़ रुपये की इस वसूली में से 1,320 करोड़ रुपये हाई-वैल्यू लेनदेन करने वालों से प्राप्त हुए हैं। विभाग उन मामलों में व्यापक अभियान चला रहा है, जहां लोगों का खर्च उनके टैक्स रिटर्न में घोषित आय से मेल नहीं खा रहा है।
आयकर विभाग डेटा और एनालिटिक्स का इस्तेमाल कर टैक्स चोरी का पता लगा रहा है और वित्तीय वर्ष 2020-21 से नॉन-फाइलर
मॉनिटरिंग सिस्टम (एनएमएस) को सक्रिय रूप से लागू कर रहा है।
अधिकारी ने कहा कि कई स्रोतों से डेटा प्राप्त कर उसका समन्वय किया जा रहा है, जिससे विभाग को टैक्स चोरी की पहचान और कार्रवाई में आसानी हो रही है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-नवंबर के बीच प्रत्यक्ष कर संग्रह में 15.4% की वृद्धि हुई और यह 12.10 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जिसमें 5.10 लाख करोड़ रुपये कॉर्पोरेट कर और 6.61 लाख करोड़ रुपये गैर-कॉर्पोरेट कर शामिल हैं।