मालीगांव। पूर्वोत्तर सीमा रेलवे के अधीन यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे पूरे वर्ष भर दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करता है। इसे बढ़ावा देने और संरक्षित करने हेतु एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, पू. सी. रेलवे ने सौ साल पुराने विंटेज स्टीम इंजन को पुनर्बहाल किया है, जिसे 'बेबी सेवक' के नाम से जाना जाता है। इसका अनावरण 7 दिसंबर को घूम विंटर फेस्टिवल के दौरान किया गया, जहाँ स्टीम इंजन को आधिकारिक तौर पर पू. सी. रेलवे के महाप्रबंधक चेतन कुमार श्रीवास्तव ने हरी झंडी दिखाई।
स्टीम इंजन 'बेबी सेवक' की शुरुआत एक सौ साल से भी पहले जर्मनी के ओरेनस्टीन एंड कोप्पेल के एक कंट्रेक्टर के लोकोमोटिव इंजन के रूप में हुई थी। ऐसा माना जाता है कि डीएचआर की तीस्ता घाटी और किशनगंज शाखाओं के निर्माण में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जिसका नाम तीस्ता घाटी लाइन पर स्थित सेवक स्टेशन से पड़ा। दशकों की सेवा के बाद, इंजन 1970 के दशक में सेवा से बाहर हो गया और 1990 के दशक के अंत में सिलीगुड़ी में प्रदर्शित किया गया था। वर्ष 2000 से यह घूम स्टेशन पर एक बाहरी प्रदर्शनी थी, जहाँ यह धीरे-धीरे जीर्ण-शीर्ण हो गई। इसके ऐतिहासिक महत्व को पहचानते हुए, स्टीम इंजन को तिनधरिया कारखाना लाया गया, जहाँ पू. सी. रेलवे के अपने कुशल कर्मचारियों द्वारा काफी बारीकी से जीर्णोद्धार किया, जिससे इसके मूल आकर्षण को संरक्षित करते हुए इसे पुनर्जीवित किया गया।