सूरत। (Surat)रविवार को आचार्य महाश्रम के सानिध्य में आर्ट ऑफ लिविंग (Art Of Living)के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर पहुंचे। दोनों के बीच अध्यात्म, योग एवं समसामयिक बिंदुओं पर चर्चा हुई।
महावीर समवसरण में आचार्यश्री ने कहा कि भगवान महावीर ने इस दुनिया में जन्म लिया और अध्यात्म का मार्ग देखा और उस पर चले ही नहीं, अपनी मंजिल को भी प्राप्त कर लिया। मार्ग को देख लेना, जान लेना एक बात है, फिर चलने का संकल्प करना दूसरी बात और चलना तीसरी बात और चलकर मंजिल को प्राप्त कर लेना चौथी बात सफलता की बात हो जाती है। आज आचार्य तुलसी के जन्म को 110 वर्ष हो गए। मुझे उनकी जन्म शताब्दी और आचार्य महाप्रज्ञ की जन्म शताब्दी को मनाने का अवसर मिल गया। वे हमारे गुरु तो थे ही और भी साधु-साध्वियों ने उनका साया प्राप्त किया। उन्होंने अणुव्रत आन्दोलन का सूत्रपात किया।
समणी ज्योतिप्रज्ञा की लिखित पुस्तक ‘उपमा कोश’ को आचार्यश्री के समक्ष लोकार्पित किया गया। साध्वीप्रमुखा तथा साध्वीवर्या ने भी जनता को उद्बोधित किया। समणी कुसुमप्रज्ञा, समणी मधुरप्रज्ञा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।