जोधपुर (कासं)। जोधपुर पुष्करणा समाज के रत्न, राष्ट्रपति अवॉर्ड से सम्मानित मारवाड़ रत्न गुरु गोविंद कल्ला का 86 वर्ष की उम्र में कल मंगलवार रात 11 बजे देहांत हो गया। जिनका अंतिम संस्कार आज किया जाएगा। गीत, संगीत व परंपराओं के ऐनसाइक्लोपीडिया कहे जाने वाले कल्ला मांड गायकी, गवंर के गीत, सोरठे, हिरणी, विरह गीतों के ज्ञाता थे। उन्हें लेकर पर्यटन-संस्कृति मंत्री ने ट्वीट कर शोक जताया। वे जोधपुर के जाने-माने लोगों में से एक थे।
कई बार हो चुका था सम्मानः बता दें कि कल्ला ने डबल एमए, एमएड, आईजीडी, आरडी ऑनर्स किया था। वह साहित्य रत्न, संगीत प्रभाकर राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हुए। इसके साथ ही, शिक्षाविद भारतीय शास्त्रीय संगीत की ध्रुपद गायकी में तानसेन के गुरु बाबा हरिदासजी डागर घराना पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। चित्रकार, मूर्तिकार, साहित्यकार, राजस्थानी भाषा के कवि, गीतकार एवं संगीत निर्देशक, फिल्मों में कला निर्देशक, निर्देशक व लाइट एवं साउंड तकनीकी के जाने माने निर्देशक भी रहे। रंगकर्मी के साथ वैदिक श्याम गान में राग व्याकरणाचार्य रत शताब्दी की नई शास्त्रीय राग अटल विजयश्री के रचियता कार्टूनिस्ट, कला पुरोधा कल्ला ने कई समाचार पत्र-पत्रिकाओं में राजस्थानी व हिंदी भाषा में कॉलम भी लिखे।
दूरदर्शन पर भी मशहूर थेः कल्ला सकल फाग के गीतकार व संगीत निर्देशक व जागरूक युवा फोर्स के संरक्षक व मांड शोध संस्थान के चेयरमेन थे। कल्ला ने अपने जीवन काल में दूरदर्शन सहित कई रंगमंचों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करवाया। संगीत कला व गायकी व परंपराओं के कई शोधार्थियों को गुरु गोविंद कल्ला का मार्गदर्शन मिला। कल्ला अपने राजकीय सेवा कार्य के दौरान तीन बार जिला कलेक्टर से सम्मानित हो चुके हैं।
इनके तीन पुत्र आनंद कल्ला संतोष, विनोद और उनकी पत्नी वीना और उनके बड़े भाई चंद्रशेखर परिवार में है, गुरु गोविंद कल्ला ने प्रथम बार गांधी मैदान में लाइट एंड साउंड शो रामलीला का मंचन किया जो 10 दिन तक चला। उन्होंन जैसलमेर में डेजर्ट ड्रम का प्रदर्शन किया और काफी समय से शिक्षा विभाग द्वारा 15 अगस्त और 26 जनवरी के अगस्त और 26 जनवरी के सांस्कृतिक कार्यक्रम निरंतर करते रहे, मोतीबा नगर पाल रोड साईं बाबा के मंदिर में लाइट एंड साउंड द्वारा साइ बाबा पर कार्यक्रम किया आपने रंगमंच के क्षेत्र में हेमू हीरा बोल जमूरा ज्ञानी आदि नाटक का मंचन किया।