चातुर्मास संपन्नता पर मंगल विहार में उमड़ा जन सैलाब

Pratahkal    17-Nov-2024
Total Views |
 
Surat
सूरत। आचार्य महाश्रमण ने भगवान महावीर यूनिवर्सिटी के संयम विहार में चातुर्मास संपन्न कर मंगल प्रस्थान किया। सूरत वासियों के लिए आचार्य महाश्रमण का यह प्रवास चिरस्मरणीय बन गया। विहार के समय मंगल विदाई का दृश्य सैकड़ों भक्तों के नयनों को सजल कर गया। गुरूदेव का 2025 का चातुर्मास जहां अहमदाबाद में घोषित है वहीं इस बीच कच्छ, भुज, राजकोट, सौराष्ट्र आदि क्षेत्रों में अब उनका पदार्पण निर्धारित है। 17 नवंबर को भेस्तान वहीं 18 नवंबर से उधना तेरापंथ भवन में उनका प्रवास संभावित है।
 
मंगल प्रवचन में उद्बोधन देते हुए आचार्यश्री ने कहा – आगमन साहित्य में सोलह भावनाओं का वर्णन मिलता है उसके से चार है - मैत्री, प्रमोद, करुणा व मध्यस्थ भावना। मेरी सब प्राणियों के साथ सदा मैत्री रहे व किसी के साथ भी वैर न हो। व्यक्ति सोचे कि मुझे सुख प्रिय व दुःख अप्रिय है तो हर प्राणी को सुख प्रिय व दुख अप्रिय है, ऐसे में हम आत्मतुला की बात की अनुपालना करें। दूसरी भावना ये कि गुणियों व गुणीजनों के प्रति सम्मान के भाव रहे। पूजा व्यक्ति की नहीं बल्कि गुणों की होती है। गुणीजनों के गुण देखकर उन्हें ग्रहण करने का प्रयास होना चाहिए। किसी के गुण देखकर व किसी का विकास देखकर जलन के भाव न आये, बल्कि हम भी गुणवान बनने का प्रयास करते रहें। तीसरी करुणा भावना - हम सबके प्रति करुणावान रहें। कोई वृद्ध, बीमार या बच्चा हो तो उसके प्रति मन में दया के भाव हो। किसी को दुखी देखकर खुशियाँ क्यों मनाई जाए। चौथी मध्यस्थ भावना अर्थात कोई हमारे विपरीत चलने वाला हो तो उसके साथ भी झगड़ा क्यों और किस बात का। इन चारों भावनाओं का चिन्तन व अनुप्रेक्षा हमारे जीवन की नई दिशा दे सकती है ।