मुंबई। विले पार्ले (Vile Parle) में साध्वी शकुन्तला कुमारी (Sadhvi Shakuntala Kumari) के सानिध्य में प्रेक्षाध्यान शिविर (observation camp) का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ रेखा व कुसुम कोठारी के गीत संगान से हुआ। साध्वी रक्षितयशा ने आनन्द भावना, मंगल भावना व काय गुप्ति की महत्ता बताते हुए प्रयोग करवाये। साध्वी संचितयशा ने प्रेक्षा ध्यान के इतिहास व स्वरूप का उल्लेख करते हुए एकाग्रता बढ़ाने प्रयोग करवाया। साध्वी शकुन्तला कुमारी ने कहा कि परमात्मा से साक्षात्कार करने का मार्ग है ध्यान। ध्यान के बिना आत्मिक सुख की अनुभूति नहीं हो सकती। प्रेक्षाध्यान करके व्यक्ति आधि, व्याधि, उपाधियों से मुक्त होकर आत्मा में लीन हो जाता है, उसे संसार के भोग तुच्छ लगते हैं। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 5 मिनट अपने आपको देखना चाहिए।