मुंबई। साध्वी विद्यावती (Sadhvi Vidyavati) द्वितीय ठाणा 5 के सान्निध्य में दादर (Dadar) में भक्तामर अनुष्ठान (devotional ritual) का उपक्रम रखा गया। साध्वी विद्यावती ने कहा कि जैन धर्म (Jainism) में कई प्रभावक आचार्य हुए हैं। उन्होंने जैन साहित्य भंडार को समृद्ध बनाया है। ध्यान, योग, दर्शन आदि विषयों से संबंधित कई ग्रंथों का लेखन उन्होंने किया है। उन्ही में एक मानतुंग आचार्य हुए। भक्तामर स्रोत की रचना कर उन्होंने एक नया आलोक दिया। जैन समाज के हृदय में भक्तामर के प्रति सम्मान है।
साध्वी ऋद्धियशा ने कहा कि यह स्तोत्र महामंगलकारी एवं प्रभावशाली है। आचार्य मानतुंग ने जब भक्तामर की रचना की उसका एक अलग ही इतिहास है। साध्वी प्रियंवदा ने कहा कि प्रतिदिन भक्तामर का पारायण करने वाला अपने भीतर एक विशेष ऊर्जा संग्रहित करता है। साध्वी प्रेरणाश्री, साध्वी मृदुयशा एवं साध्वी ऋद्धियशा ने भक्तामर के श्लोकों का एवं मंत्रों का उच्चारण किया। श्रावक श्राविकाओं ने भी भक्तामर का पाठ किया । यह जानकारी निलेश चंडालिया ने दी।