मुंबई। दक्षिण मुंबई के जूलरी और सोने की तस्करी के गिरोह के कथित सरगना दशरथ सोनी (40) को राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) द्वारा दिल्ली से जारी लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) के आधार पर गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के समय सोनी दुबई भागने की फिराक में था और शुक्रवार को दुबई के लिये फ्लाइट पक़डनेवाला था।
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी के रडार पर सोनी तब आया जब इस साल मार्च में डीआरआई ने कुर्ला के लोकमान्य तिलक टर्मिनस पर जाल बिछाया और दो लोगों को गिरफ्तार किया। इन दोनों संदिग्धों पर अपने बदन में सोना छिपाकर ले जाने का संदेह था। एजेंसी ने बनारस-एलटीटी एक्सप्रेस से आए कुम्पाराम चौधरी नामक व्यक्ति पर नजर रखी और उसका पीछा किया, जब तक कि मोनू रस्तोगी नामक एक अन्य व्यक्ति उससे मिलने नहीं आया।
चौधरी की व्यक्तिगत तलाशी में दो पैकेट बरामद हुए जो कि कमरबंद में छिपाकर रखे हुए थे, जिन्हें अखबार में लपेटा गया था और रबर बैंड और पारदर्शी सेलो टेप से बांधा गया था। पैकेट में ग्यारह धातु की पट्टियाँ पाई गईं, जिन्हें सोने की पट्टियाँ माना जाता है, जिनका वजन लगभग 3.8 किलोग्राम था और कुल मिलाकर उनकी कीमत 2.6 करोड़ रुपये थी।
चौधरी ने माना कि उसे पता था कि वह तस्करी का सामान लेकर जा रहा है और उत्तम सिंह नामक व्यक्ति ने सोनी की ओर से उसे वाराणसी में पैकेट सौंपा था। डीआरआई लखनऊ इकाई ने आरोपी जूलर सोनी के एक कर्मचारी उत्तम सिंह को भी पकड़ा, जिसने उन्हें बताया कि उसने सोनी की ओर से चौधरी को सोने की छड़ें सौंपी थीं और यह तस्करी भारत-म्यांमार सीमा के माध्यम से भारत में सोने की तस्करी का हिस्सा थी। चौधरी, मोनू रस्तोगी और उत्तम सिंह सभी ने अपने इकबालिया बयानों में साफ बताया कि जूलर सोनी ही इस गोल्ड स्मगलिंग का सरगना था। तीनों ने कहा कि सोने की तस्करी भारत में की गई और मुंबई पहुंचाई गई।
एक अधिकारी ने कहा, "जांच से पता चला कि सोनी मास्टरमाइंड था, और सिंडिकेट में वह एक आदतन अपराधी था। सोनी ही वह मुख्य लाभार्थी था, जो अवैध रूप से तस्करी किए गए विदेशी मूल के सोने की देखरेख और खुले बाजार में इसे बेचने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार था। जूलर सोनी को समन जारी करने के बावजूद, वह टालमटोल करता रहा और सहयोग करने में विफल रहा।" इसके बाद जब वह दुबई निकल भागने के लिये शुक्रवार को फ्लाइट पकड़ने की फिराक में था, उससे पहले ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया।