भारत से कुछ तो सीखे पाकिस्तान

16 Sep 2023 12:41:25
aalekh 
 
भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संविधान के दायरे में रहकर लोकतांत्रिक मूल्यों को गहरा कर रही हैं, जबकि पाकिस्तानी राष्ट्रपति आरिफ अल्वी का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, लेकिन वह पद पर बने हुए हैं। पिछले कई वर्षों से वह इमरान खान के समर्थक और पीटीआई कार्यकर्ता की तरह काम करते देखे गए हैं।
 
मरिआना बाबर... हाल ही में भारत (India) ने लगातार तीन बड़ी सफलताएं हासिल की हैं, जिन पर पाकिस्तान (Pakisthan) की पैनी नजर रही। सबसे पहले भारत का चंद्रयान- 3 (Chandrayan-3) चांद के अंधेरे हिस्से (दक्षिणी ध्रुव) की तरफ उतरा, जो निश्चित रूप से एक बड़ी घटना था। उसके बाद जी- 20 (G-20) शिखर सम्मेलन की तस्वीरें सामने आईं, जिसके कारण दुनिया भर की नजरें नई दिल्ली पर टिकी थीं। और तीसरी घटना यह है कि कोलंबो (colombo) में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ एशिया कप (Asia cup) क्रिकेट मैच जीत लिया।
 
नेपाल (Nepal) ही वह देश है, जहां कई सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार जीवित देवी हैं। लेकिन मेरे लिए यह भारत की पंद्रहवीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) की तस्वीर थी, जिसमें वह भारतीय देवी की तरह लग रही थीं। यह तस्वीर भारतीय दौरे पर आए सऊदी अरब (Saudi Arabia) के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Prince Mohammed bin Salman) के साथ उनकी बैठक के दौरान ली गई थी । तस्वीर में वह अपने सिर पर फूलों का एक बड़ा गुलदस्ता लेकर शांति से बैठी हैं।
 
राष्ट्रपति मुर्मू ने पाकिस्तानियों का ध्यान तब आकर्षित किया था, जब उन्हें पहली बार नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सरकार द्वारा राष्ट्रपति पद के लिए नामित किया गया था। उन्होंने विशेष रूप से समाज के वंचितों के साथ-साथ हाशिये पर रहने वाले वर्गों को सशक्त बनाने के लिए और देश में लोकतांत्रिक मूल्यों को गहरा करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
 
पाकिस्तानी राष्ट्रपति के विपरीत, भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संविधान के दायरे में रहकर और किसी भी राजनीतिक पार्टी के साथ जुड़ाव से दूर रहते हुए देखना अच्छा है। पाकिस्तान में राष्ट्रपति आरिफ अल्वी (President Arif Alvi) ने जिनका ताल्लुक पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) पार्टी से था, संविधान की मांग के अनुसार अराजनीतिक रहने से इन्कार कर दिया है। पिछले कई वर्षों से पाकिस्तान के लोगों ने उन्हें इमरान खान के समर्थक और पीटीआई कार्यकर्ता की तरह काम करते देखा है।
 
हालांकि संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, क्योंकि उन्हें पांच साल के लिए राष्ट्रपति मनोनीत किया गया था । यदि वह इस्तीफा नहीं देते हैं, तो तब तक राष्ट्रपति बने रह कुरील सकते हैं, जब तक कि नई सरकार नहीं आती है और वह नई सरकार एक नए राष्ट्राध्यक्ष को नामित नहीं करती । राष्ट्रपति के इस्तीफा देने की स्थिति में, संविधान सीनेट के अध्यक्ष को स्वतः राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने की अनुमति देता है। किसी भी स्थिति में राष्ट्रपति की गैरमौजूदगी में, सीनेट अध्यक्ष मौजूदा राष्ट्रपति की पूर्ण शक्तियों के साथ कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है।
अतीत में हमने आपातकाल की स्थिति सीनेट के अध्यक्ष को राष्ट्रपति का कार्यभार संभालते देखा है। यह तब हुआ था, जब 1988 में तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक का एक विमान दुर्घटना में निधन हो गया था । संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति का पद खाली नहीं रह सकता, इसलिए स्वतः सीनेट के अध्यक्ष गुलाम इशहाक खान पाकिस्तान के राष्ट्रपति बन गए थे। नई दिल्ली से एक और दिलचस्प खबर आई है कि पहली बार किसी भारतीय महिला के रूप में सुश्री गीतिका श्रीवास्तव इस महीने के अंत तक इस्लामाबाद पहुंचकर भारतीय उच्चायुक्त का प्रभार संभालेंगी। विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद से बाईस पुरूष उच्चायुक्तों के बाद वह पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग की पहली महिला प्रमुख होंगी । सुश्री गीतिका सुरेश कुमार से पदभार ग्रहण करेंगी, जो इस महीने के अंत तक पाकिस्तान छोड़ देंगे । सुरेश कुमार की इस्लामाबाद में बहुत कम उपस्थिति देखी गई है और पाकिस्तानी पत्रकारों से वह अक्सर कम मिलते रहे हैं।
 
चाहे द्विपक्षीय संबंध कितने भी खराब क्यों न हों, किसी भी मुल्क में राजनयिकों का काम अपने वतन और तैनाती वाले मुल्क के बीच एक पुल बनाना होता है। वास्तव में जब दो मुल्कों के बीच द्विपक्षीय संबंध खराब होते हैं, तब राजनयिकों के लिए मेजबान देश के लोगों तक पहुंचना और भी जरूरी हो जाता है । बहरहाल, अभी यह कहना जल्दबाजी होगा कि सुश्री गीतिका पाकिस्तानी समुदाय, विशेषकर पत्रकारों तक पहुंच बनाएंगी या नहीं।
 
वर्ष 2019 में कश्मीर मुद्दे पर दोनों पड़ोसी मुल्कों के द्विपक्षीय रिश्तों में गिरावट आने के बाद से नई दिल्ली या इस्लामाबाद में कोई पूर्णकालिक उच्चायुक्त नहीं है। इस पद को कमतर करके अब प्रभारियों के हवाले कर दिया गया है। इस्लामाबाद (Islamabad) में अंतिम पूर्णकालिक भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया थे, जिन्हें 2019 में निष्कासित कर दिया गया था। बाद में वह कनाडा (Canada) में भारत के उच्चायुक्त बने और उसके बाद सेवानिवृत हो गए।
 
पाकिस्तान से नई दिल्ली लौटने वाले अधिकांश उत्कृष्ट उच्चायुक्तों को प्रोन्नत करके विदेश सचिव बनाया गया है। सुश्री गीतिका इस्लामाबाद में 'महिला राजनयिक क्लब' में शामिल होंगी, जिनमें बड़ी संख्या में वरिष्ठ महिला राजनयिक शामिल हैं। फिलीपींस की राजदूत के बाद वह दूसरी एशियाई सबसे वरिष्ठ महिला राजनयिक होंगी। हालांकि पाकिस्तान से आने वाली खबरें हमेशा बहुत अच्छी नहीं होती हैं और मुल्क के विभिन्न हिस्सों में लगातार आतंकवादी हमले होते रहते हैं, लेकिन इस्लामाबाद को महिला राजनयिकों सहित राजनयिकों के लिए बहुत सुरक्षित माना जाता है । इस्लामाबाद में सबसे लोकप्रिय महिला राजनयिकों में से एक यूरोपीय संघ से हैं। राजदूत रीना कियोनका बलूचिस्तान सहित पूरे पाकिस्तान में यूरोपीय संघ की परियोजनाओं का निरीक्षण करने के लिए अक्सर दौरा कर रही हैं।
 
जब मैंने उनसे सुश्री गीतिका के आने के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि यह आश्चर्यजनक है कि पाकिस्तान में अपने प्रतिनिधि के रूप में महिलाओं को भेजने वाले मुल्कों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह संकेत है कि दुनिया भर में लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण के लक्ष्यों पर बड़ी प्रगति हुई है। सुश्री गीतिका के आगमन से ठीक पहले, ब्रिटेन ने भी पुरानी वर्जनाओं को तोड़ते हुए अपनी पहली महिला उच्चायुक्त जेन मैरियट को पाकिस्तान भेजा।
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