आज हम सबके लिए चांद कुछ और है

चंद्रयान-3 की कामयाबी हम भारतीयों के लिए ही नहीं, दुनिया के लिए भी मील का पत्थर है । इससे चंद्रमा पर मौजूद तत्वों- खनिजों के बारे में अधिकाधिक जानकारियां मिलेंगी ।

Pratahkal    25-Aug-2023
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India's Chandrayaan-3 mission
 
दीपक ढींगरा : चांद पर उतरने का सपना साकार हुआ। चंद्रयान-3 की चांद के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में सफल लैंडिंग से भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के दमखम का नया अध्याय शुरू हुआ। इस अभूतपूर्व उपलब्धि से वैज्ञानिकों में नव ऊर्जा और उत्साह का संचार होगा। न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में चंद्रमा पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों की नजर आगे आने वाले 14 दिनों में एकत्रित जानकारी पर बेसब्री से टिकी रहेगी। जैसा कि कहा जाता है, यह तो पिक्चर का ट्रेलर है, असली पिक्चर अभी बाकी है। आशाओं और महत्वाकांक्षाओं के साथ हम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र की सतह के बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं। चंद्रमा पर सूर्य उदय हो चुका है और अस्त होने से पहले हमें सारा शोध पूरा करना है।
 
विज्ञान हर प्रयास के साथ कैसे सीखता और आगे बढ़ता है, इसे चंद्रयान - 3 के उदाहरण से समझा जा सकता है चंद्रयान-1 में आधे उपकरण ही भारत के थे, बाकी अमेरिका, बुल्गारिया और यूरोप से साझेदारी के रूप में भेजे गए थे। चंद्रयान-2 में सभी उपकरण भारत के थे। चंद्रयान-3 में भी सभी उपकरण भारत के हैं। हालांकि, इसमें अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भारत से अनुरोध कर एक उपकरण शामिल कराया है। हमारे इस अभियान में विश्व के सभी अभियानों का कुछ न कुछ योगदान है। 2007 से 2010 के बीच भारत के अलावा चीन, जापान, अमेरिका और यूरोप ने कई चंद्र अभियान किए। ऐसे हर अभियान से मिले वैज्ञानिक आंकड़ों से ही आगे के अभियानों की सफलता तय होती है ।
 
अब सवाल है कि चंद्रयान-3 से हम क्या हासिल कर सकेंगे? असल में, चंद्रयान के उपकरण हमें सैंकड़ों तरह के चित्र और आंकड़े देंगे, जिनसे हम वहां ठोस, द्रव, गैस के रूप में तत्वों की मौजूदगी, उनकी मात्रा, प्रकार, बनावट आदि के बारे में अधिक जान सकेंगे। इसके अलावा, इस अभियान द्वारा चंद्रमा से हम पृथ्वी, सूर्य और आकाशगंगा के तमाम अनजान सितारों के बारे में भी सूचनाओं के सिरे तलाशेंगे। यहां हमें कुछ ऐसे तथ्य- आंकड़े मिल सकते हैं, जो प्लेटेनरी डिफेंस (खगोलीय सुरक्षा) का ढांचा बनाने में मदद करेंगे। ऐसी सूचनाएं पूरी दुनिया के लिए जरूरी हैं।
 
हमारे चंद्रयान-1 की बड़ी सफलता यह थी कि उसमें लगे नासा के एम-क्यूब (मून मिनरॉलजी मैपर) से वहां पानी की पुष्टि हुई। थी। चंद्रमा पर पानी की सर्वाधिक मात्रा और संभावना ध्रुवों पर हो सकती है। पानी किस रूप में, कितना और कैसा है, अब यह जानना शेष है। चंद्रयान-3 मिशन कितना महत्वपूर्ण है, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि अगले कुछ वर्षों में दर्जन भर चंद्र-अभियान होने वाले हैं। ये सभी ध्रुवों पर होंगे। इनमें कुछ अभियान चुनिंदा देशों के हैं, तो कुछ निजी कंपनियों के भी हैं
 
चंद्रयान- 3 से चंद्रमा पर मौजूद तत्वों- खनिजों के बारे में अधिकाधिक जानकारियां मिलेंगी। एक उदाहरण देता हूं। चंद्रमा पर सोडियम मौजूद है, पर वह कितनी मात्रा में है, यह पता नहीं है। यह एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर के डाटा से पता चल जाएगा। चंद्रयान में अब तक का सबसे सक्षम एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर लगा है, जो 25 किलोमीटर के दायरे तक के तत्वों से परावर्तित एक्स-रे का डाटा दे सकेगा। इनके परीक्षण से तत्वों की मौजूदगी सटीक रूप से पता चलेगी। ऐसे ही भूकंपमापक के डाटा से चंद्रमा पर चंद्रकंपों की स्थिति पता चल सकेगी। हम यह भी जान सकेंगे कि पृथ्वी की तरह चंद्रमा के गर्भ में कोर (तरल केंद्र) है या नहीं?
 
अंतरिक्ष में जीवन की खोज की दिशा में चंद्रयान- 3 की खास भूमिका होगी। इसके आर्बिटिंग प्लेटफॉर्म पर एक खास उपकरण लगा है, जो चंद्रमा के निकट से धरती पर जीवन के पैरामीटर को रिकॉर्ड करेगा। फिर आकाशगंगा के अन्य तारों ग्रहों का अध्ययन कर उन पैरामीटर के आधार पर परखेगा। संभव है, किसी ग्रह पर उनमें से कुछ पैरामीटर मिल सकें। अगर ऐसा हुआ, तो अंतरिक्ष में पृथ्वी के सिवाय कहीं और भी जीवन की दिशा में महत्वपूर्ण अध्ययन शुरू हो सकेगा।
 
ऐसी तमाम सूचनाएं भारत को बड़ी अंतरिक्ष ताकत बनाने में मददगार होंगी। इस क्षेत्र में हमसे आगे चल रहे देश हमारे साथ और बेहतर समन्वय बनाएंगे। सूचनाओं की साझेदारी बढ़ेगी, तो अन्य कई आयाम खुलेंगे। हमारा यान भेजने का अनुभव और दक्षता देखते हुए दुनिया के तमाम देश हमसे अपने यान और सैटेलाइट भेजने में मदद लेंगे। इसका व्यावसायिक उपयोग भी हो सकता है। किसी भी क्षेत्र में बड़ी सफलता व्यक्ति और देश को दुनिया में खास पहचान देती है। अंतरिक्ष की यह सफलता विदेश में हमारे मेधावी छात्रों को भी बहुत फायदा पहुंचाएगी। अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को ज्यादा सहयोगी मिलेंगे।
 
क्या भविष्य में चांद पर जीवन संभव हो सकता है? बतौर भू-वैज्ञानिक मैं कह सकता हूं कि क्यों नहीं! विज्ञान किसी संभावना से इनकार नहीं करता, लेकिन इस सवाल के कई आयाम हैं। क्या चंद्रमा पर पृथ्वी से अलग कोई जीवन है? वहां जीवन की संभावना को छोड़ें, क्या धरती पर जीवन बिना चंद्रमा के संभव है? चंद्रमा न हो, तो धरती पर जीवन की संभावनाएं बेहद क्षीण हैं । यह धरती की गति स्थिति को जीवन के लिए सहायक बनाता है। यह हमारे बायो रिद्म को तय करता है। समुद्र के तमाम जंतुओं की जीवन-चर्या के अध्ययन में ऐसे तमाम तथ्य सामने आ चुके हैं। ज्वार-भाटा प्रत्यक्ष उदाहरण है। मानव व्यवहार पर भी चंद्रमा की गति स्थिति का प्रभाव पड़ता है।
 
पूरे विश्व के लिए बेहद महत्वपूर्ण चंद्रयान- 3 अभियान से इंजीनियरिंग के लगभग 300 और इसके शोध - विज्ञान से 30 वैज्ञानिक जुड़े हुए हैं। स्पेस रिसर्च पॉलिसी के मुताबिक, एक निर्धारित समय के बाद इस अंतरिक्ष अभियान से मिले डाटा का अध्ययन मुझे भी करना है। यह मेरा सौभाग्य है कि कुछ दुर्लभ जानकारियों को मानवता के सामने लाने में मेरी भी कुछ भूमिका होगी। इससे पहले के दोनों चंद्रयानों के डाटा- विश्लेषण का काम भी मैंने किया है।
 
बचपन में जब आधा है चंद्रमा, रात आधी... जैसे गीत सुनता था, तब चंद्रमा को लेकर मेरी भी बालसुलभ जिज्ञासाएं हुआ करती थीं। आज मेरे लिए चांद कुछ और ही है। अनंत रहस्यों से भरा धरती का एक प्यारा-सा हिस्सा, जो पुरातन काल में धरती से टूटकर कुछ दूर जा टिका है। (लेखक आईआईटी कानपुर में प्रोफेसर हैं )