मुंबई । अंधेरी (Andheri) चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव हेतु आचार्य पुलक सागर (Acharya Pulak Sagar) महाराज एवं आचार्य प्रणाम सागर महाराज (Pranam Sagar Maharaj) का अंधेरी पश्चिम में प्रवेश हुआ। दोनों आचार्यों का मिलन होने के बाद कार्यक्रम स्थल पर प्रवेश व पुरुष वर्ग ने सफेद परिधान एवं महिलाओं ने केसरिया वस्त्र पहनकर कलश के साथ आचार्यों का सामैया किया।
आचार्य पुलक सागर ने इस अवसर पर कहा कि मिस्त्री छेनी हथौड़ी लेकर पाषाण की त्रुटि दूर करता है और उसे गढ़कर प्रतिमा तैयार करता है, उसी तरह अपनी त्रुटि दूर करके श्रेष्ठ बनने का प्रयास करें। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में प्रतिमा को भगवान बनाने की विधि करते हुए खुद भगवान बने ऐसा प्रयास होना चाहिए, क्योंकि जैन धर्म में खुद को भगवान जैसा बनने की प्रेरणा प्राप्त होती है। इस अवसर पर रमेश कचरावत, सुरेश कोठारी, पवन सेम्बारा, हेमंत बोहरा, मितेश वगेरिया, अशोक मेहता, मुकेश संगावत, कमलेश रैयावत, विशाल रैयावत, महावीर गंगाजियोत के साथ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा समिति, कार्यकारिणी सदस्य एवं सकल दिगंबर जैन समाज के सदस्य उपस्थित थे।