संतुलन की कोशिश

03 Feb 2023 11:01:15
 
Budget Balance 
 
आजाद भारत के अमृत काल का पहला बजट (Budget) लगभग अपेक्षा के अनुरूप ही रहा है। सबसे अपनी दोस्ती, ना काहू से बैर के भाव के साथ इस बजट में चुनावी वर्ष की छाया भी साफ तौर पर महसूस हो रही है। वैश्विक मंदी (Global Recession)और रूस यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) का अपना असर है, इसके बावजूद वित्त मंत्री ने अपनी सीमाओं के अंदर एक सकारात्मक भविष्योन्मुख बजट पेश किया है। कुछ योजनाओं को पूरा करने के लिए तीन साल से पांच साल तक का समय लिया गया है, मतलब सरकार अपनी घोषणाओं में किसी भी तरह के बड़बोलेपन से बचने में कामयाब रही है। आज के समय में अर्थव्यवस्था (Economy) जिस मोड़ पर है, वहां किसी भी विशेष वर्ग को निशाने पर नहीं लिया जा सकता। एक ओर जरूरतमंदों को राहत पहुंचाने के लिए विभिन्न मदों में बजट की बढ़ोतरी हुई है, वहीं बड़ी कंपनियों और निवेशकों की चिंता भी सरकार स्पष्ट रूप से कर रही है। कंपनियों और निवेशकों की तात्कालिक खुशी को इस बात से समझा जा सकता है कि बजट आते ही शेयर बाजार में बढ़त का क्रम दिखा। हालांकि, कुछ समय बाद गिरावट हुई, पर तब भी बाजार ने समग्रता में नुकसान का संकेत नहीं दिया। यह सरकार के लिए एक राहत की बात हो सकती है। नौकरीपेशा लोगों के लिए आयकर स्लैब में वृद्धि एक खुशखबरी है। आयकर स्लैब को तार्किक बनाने की मांग विगत चार- पांच साल से ज्यादा हो रही थी, लेकिन आयकर वसूलने में सहजता की वजह से सरकार किसी नई रियायत के लिए तैयार नहीं थी। साल 2014 के बाद अब जो परिवर्तन हुआ है, उसके अनुसार, नई आयकर स्कीम को स्वीकार करने वाले लोगों को सात लाख वार्षिक आय पर अब आयकर भुगतान की जरूरत नहीं पड़ेगी। दूसरा परिवर्तन यह है कि यदि आप पुरानी आयकर स्कीम को नहीं चुनेंगे, तो आप पर स्वत नई आयकर स्कीम लागू हो जाएगी। हालांकि, जिन लोगों की वार्षिक आय 15.5 लाख से ज्यादा है, उन्हें 30 प्रतिशत आयकर चुकाना पड़ेगा। संकेत स्पष्ट है कि पुरानी आयकर स्कीम की विदाई होने वाली है। इसका एक अर्थ यह भी है कि आयकर (Income tax) बचाने के लिए होने वाले निवेश में कमी आएगी। वैसे भी आयकर चुकाने वाले लोग ज्यादा नहीं हैं और जो सक्षम वर्ग है, वह आयकर बचाने में सबसे आगे रहता है। आयकर फॉर्म को सरल बनाने के साथ ही आयकर से जुड़े भ्रष्टाचार (Corruption) को खत्म करने के लिए भी ज्यादा सक्रिय होने की जरूरत है। प्रधानमंत्री आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana) के बजट का 66 प्रतिशत बढ़ना उन गरीबों के लिए सुखद है, जिन्हें अभी तक घर नसीब नहीं हुआ है। एकलव्य विद्यालय के तहत आदिवासियों के विकास की पहल प्रशंसनीय है, तो महिलाओं के लिए विशेष बचत स्कीम व बचत बढ़ाने की अन्य कोशिशें भी सराहनीय हैं। बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 10 लाख करोड़ रूपये का बजट, राज्यों को पचास साल के लिए ब्याज मुक्त ऋण देने का प्रस्ताव भी समयानुकल है। किसानों को राहत देने की कोशिश हुई है, तो सहकारिता में फिर प्राण फूंकने का इरादा भी जाहिर है। गांव और शहर के बीच यह बजट संतुलन साधने की कोशिश करता दिख रहा है। अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए अभी भी बहुत गुंजाइश है, क्योंकि ज्यादातर पैसा उधार से ही आ रहा है। सर्वाधिक पैसा रक्षा पर खर्च हो रहा है। सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य का बजट बढ़ाया है, लेकिन अभी और की उम्मीद है।
 
 
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