उत्कृष्ट संयम साधना के धनी प्रवर्तक मदन मुनि

पुण्यतिथि पर विशेष

Pratahkal    07-Dec-2023
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Pratahkal-Madan Muni, a rich promoter of excellent restraint practice

मेवाड़ (Mewar) के दैदीप्यमान नक्षत्र गुरुदेव मदन मुनि (Madan Muni) मसा का कृतित्व, व्यक्तित्व और स्वभाव एवं आगम अनुरूप जीवन सरलता, सहजता, ॠजुता, सद्भावना युक्त था। करुणा, दया, परोपकार और सहिष्णुता उनके आचरण में सहज ही झलकती थी। छोटे, बड़े,अमीर, गरीब व्यक्ति के प्रति कोई भेदभाव नहीं था। दीक्षा लेते ही जिनका संकल्प ही सेवा रहा हो, उन्होंने सभी छोटे बड़े संतों की अनन्य सेवा की, जिसकी मिसाल बहुत कम देखने को मिलती है। इसलिए वह सेवा के महासागर कहलाए।
 
उन्होंने समतामय और गरिमामय जीवन जिया। उनके प्रवचनों में हमेशा सच्चे श्रावक बन कर आत्म कल्याण की प्रेरणा रहती थी। साथ ही श्रमण संघ एवं संप्रदाय की संरक्षण और संवर्धन का चिंतन हमेशा रहता था। संगठन उनका प्रिय स्वभाव था। अनुशासनहीनता उनको बर्दाश्त नहीं थी। आडंबर-प्रदर्शन के खिलाफ वे हमेशा समाज को सचेत करते रहते थे।
 
वे बड़े गुरुदेवों के प्रति पूर्ण समर्पण और श्रद्धा रखते थे। विनम्रता उनके जीवन में कूट-कूट कर भरी थी। पू.महामंत्री सौभाग्य मुनि मसा को हमेशा गुरु तुल्य सम्मान दिया और उनकी हर आज्ञा का पालन किया। मदन मुनि के बिना वह भी अपने आप को असहज ही महसूस करते थे। महामंत्री की हर रचनात्मक योजना को साकार करने में उनकी भूमिका पूर्ण मनोयोग से सहयोग की रहती थी। ऐसे तेजस्वी ओजस्वी प्रतिभावान संत का वियोग असहनीय और अपूरणीय है। उनके जीवन के बारे में जितना भी कहा जाए कम है ! सही मायने में संत जीवन जीने की कला सीखनी हो तो मदन मुनि महाराज साहब का जीवन पढ़ लेना चाहिए।

ललिता सोनी
प्रमुख, मेवाड़ महिला मंडल मुम्बई