मुंबई। आचार्य महाश्रमण (Acharya Mahashraman) के सान्निध्य में रविवार को पारमार्थिक शिक्षण संस्था ( spiritual educational institution) का प्रथम अधिवेशन आयोजित हुआ।
इस अवसर पर आचार्य महाश्रमण ने कहा कि त्यागी (renunciation) वह होता है जो वस्तु के उपलब्ध होने पर व उसके सामने आने पर भी वैराग्य भाव से उसका त्याग कर दे। अनंत काल की इस यात्रा में वह दिन धन्य है जिस दिन व्यक्ति भोग से त्याग के पथ की ओर अग्रसर होता है और आगे त्याग का जीवन जीने का लक्ष्य बनाता है।
तत्पश्चात कार्यक्रम में मुख्यमुनि महावीर कुमार, साध्वी प्रमुखाश विश्रुतविभा, साध्वीवर्या संबुद्धयशा ने उद्बोधन दिया। समणी नियोजिका अमलप्रज्ञा, समणी ऋजुप्रज्ञा ने विचारों की अभिव्यक्ति दी। प्रवास व्यवस्था समिति अध्यक्ष मदन तातेड, पारमार्थिक शिक्षण संस्था के अध्यक्ष बजरंग जैन, मुमुक्षु मानवी, मुमुक्षु भावी गादिया ने भी विचार रखे।