विकसित भारत का आधार युवा शक्ति

Pratahkal    04-Oct-2023
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बद्री नारायण : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र (Developed Nation) बनाने का आह्वान किया है। विकसित भारत (India) की इस संकल्पना को साकार रूप देने में युवा आबादी की अहम भूमिका होगी। इस भूमिका के लिए युवाओं को तैयार करने का बीड़ा शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) ने उठाने का फैसला किया है। इस मिशन के लिए शिक्षा मंत्रालय युवाओं को दो तरह से तैयार करेगा। एक तो उन्हें विकसित भारत मिशन के लिए जागरूक मानवीय शक्ति के रूप में निखारा जाएगा। दूसरा, इस लक्ष्य में उनकी सलाह लेकर उन्हें समूची प्रक्रिया में शामिल कर उन्हें इस मिशन के प्रभावी सक्रिय तत्व रूप में विकसित करने की दिशा में काम किया जाएगा। शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी कई संस्थाओं ने भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों के साथ इस दिशा में कई कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाई है। पिछले दिनों कई विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों ने देश में संचालित हो रही विकास योजनाओं का मूल्यांकन किया है। इसका निष्कर्ष भी भावी योजनाएं बनाने में उपयोगी सिद्ध होगा। इसी सिलसिले में कई संस्थान विकास अध्ययन से जुड़े विद्वानों, नीति निर्माताओं और प्रशासकों इत्यादि को आमंत्रित कर विकसित भारत के विभिन्न पक्षों पर संवाद कर रहे हैं। इनमें छात्रों एवं युवाओं की राय भी संकलित किए जा रहे हैं। विश्वविद्यालयों में 'युवा संगम' भी आयोजित हो रहे हैं, जिनमें विकसित भारत के निर्माण की योजना, प्रक्रिया और प्रेरणा इत्यादि पर विमर्श जारी है। इन प्रयासों के संकलित प्रभावों से युवाओं में एक विकास-भाव रचने में मदद ली जा रही है, जो भविष्य में एक प्रकार से सतत विकास की मानवीय पूंजी सृजित करेगा ।
 
प्रधानमंत्री मोदी अपने संबोधनों में बार-बार विकसित भारत को निर्मित करने के लिए युवा शक्ति की सहभागिता की बात दोहराते रहते हैं। इसी युवा वर्ग को विकास की शक्ति में रूपांतरित करने के लिए शिक्षण संस्थान एक सतत एवं सचेत परियोजना पर काम कर रहे हैं। इसे प्रधानमंत्री मोदी के 'आह्वान' को साकार रूप देने की कोशिश के रूप में भी देखा जा सकता है। यूं भी शिक्षा मंत्रालय एवं शिक्षण संस्थानों की एक बड़ी भूमिका राष्ट्र के विकास के लिए विचार, दृष्टि एवं मानवीय शक्ति सृजित करना भी है। तमाम विकसित देशों के इतिहास पर दृष्टि डालें तो उनकी विकास यात्रा में शिक्षा एवं शिक्षण संस्थानों की महती भूमिका रही है। वहीं भारत में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा किए जा रहे विकास के प्रयासों के अनुपात में शिक्षण संस्थानों की अपेक्षित भूमिका नहीं रही । यह समझा जाना चाहिए कि 2047 तक भारत को विकसित बनाने के लक्ष्य की प्राप्ति में शिक्षण संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण रहने वाली है, क्योंकि वे ही योग्य युवाओं का निर्माण करते हैं।
 
विकसित भारत की संकल्पना के मूल आधार युवाओं की शक्ति पर चर्चा बहुत आवश्यक है। युवा शक्ति की अवधारणा क्या है ? उसका वर्तमान और भविष्य क्या है ? युवा शक्ति वस्तुतः युवा समूहों की आत्मिक एवं वाह्य शक्ति का योग है । उनकी आत्मिक शक्ति के निर्माण में संस्कार, प्रेरणा, ज्ञान एवं अनेक मानवीय मूल्यों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसमें शिक्षा की सर्वाधिक भूमिका होती है। यही आत्मिक शक्ति उनकी वाह्य शक्ति के रूप में परिलक्षित होती है। यह बाह्य शक्ति उनके द्वारा रचित एवं निर्मित उत्पादकता एवं लक्ष्यों की प्राप्ति में परिलक्षित होती है । प्रत्येक समाज की अपनी पारंपरिक प्रेरणा, मूल्य एवं नैतिकता होती है, जो युवाओं के माध्यम से प्रवाहित होती रहती है। पश्चिमी समाजों से भिन्न एशियाई समाजों की अपनी पारंपरिक ऊर्जस्विता है।
 
यही ऊर्जस्विता चीन (China), जापान (Japan) और दक्षिण कोरिया (South Korea) के विकास की प्रक्रिया में उनकी युवा शक्ति का मूल आत्मा बनकर उभरी है। चीन में कन्फ्यूशियस की प्रेरणा आज भी युवा शक्ति को प्रेरित करती है। पारंपरिक ऊर्जस्विता का आधुनिक ज्ञान, विज्ञान एवं तकनीकी के साथ संतुलित संयोग समाज की युवा शक्ति को प्रभावी बनाता रहा है। भारतीय समाज की भी अपनी पारंपरिक ऊर्जस्विता है । इसी ऊर्जस्विता का प्रधानमंत्री मोदी बार- बार उल्लेख करते हैं। इसी पारंपरिक ऊर्जस्विता का आधुनिक ज्ञान, विज्ञान एवं तकनीकी के साथ मणिकांचन संयोग का जो स्वप्न वह देख रहे हैं, भारत की उच्च शिक्षा का परिवेश उसे साकार करने की दिशा में सक्रिय है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 की कोशिश भी ऐसे ही युवा मानस का निर्माण है, जो राष्ट्र शक्ति बन सके।
 
भारतीय युवा शक्ति (Indian Youth Power) की संख्यात्मक मात्रा भी बहुत उत्साहित करने वाली है । वर्ष 2022 में सांख्यिकी मंत्रालय ने 'भारत में युवा' शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में युवा जनसंख्या 33.34 करोड़ थी, जिसके 2036 में 34.55 करोड़ होने का अनुमान है। वर्ष 2020 में भारत की लगभग 50 प्रतिशत आबादी ऐसे युवाओं की रही, जिनकी उम्र 25 वर्ष से कम थी तो 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष तक की आयु वालों की थी। एक प्रकार से भारत में 65 प्रतिशत युवा आबादी है, जबकि कई विकसित देशों में श्रमबल का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा ही युवाओं का है। स्पष्ट है कि भारत न केवल वर्तमान, अपितु निकट भविष्य में भी अत्यंत प्रभावी युवा शक्ति वाले देश के रूप में उपस्थित रहेगा। भारत की यही युवा शक्ति भारत का भविष्य रचेगी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आवश्यक कार्य शक्ति प्रदान करेगी।
 
वर्ष 2047 तक विकसित भारत का स्वप्न एवं भविष्य भी युवा शक्ति से जुड़ा है। शायद इसीलिए शिक्षा मंत्रालय एवं इससे जुड़े संस्थान इस युवा शक्ति की सामथ्र्य एवं उसकी महत्ता को समझकर उसे विकसित भारत की संकल्पना के महत्वपूर्ण मानवीय स्रोत में बदलने की एक दीर्घकालिक परियोजना पर काम कर रहे हैं। यह एक प्रकार से युवा मानवीय पूंजी के निर्माण का भी प्रयास है, जिसमें प्रेरणा, संस्कार, प्रतिबद्धता, कर्तव्य, ज्ञान, विज्ञान, तकनीकी और आधुनिकता सब मिलकर इस मानवीय पूंजी का मूल्य तया करेंगे। जरूरत है तो इसी बात की कि हम कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के शब्दों में उनमें 'शक्ति की मौलिक कल्पना' करने की प्रेरणा उत्पन्न करें, जो परिणामित होकर उस विकास भाव की मूल लय बन पाए। इससे 2047 में विकसित भारत का स्वप्न साकार हो सकेगा ।