‘राम मंदिर के लिए कानून लाए सरकार’
भाजपा 100 सीटों पर बदल सकती उम्मीदवार
जयपुर। भाजपा राजस्थान विधानसभा चुनाव में कम से कम आधे सीटों पर नए चेहरों को मैदान में उतार सकती है। राज्यभर में कराए गए फीडबैक कार्यक्रमों के अनुसार भाजपा सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। जिसके बाद पार्टी इस दिशा में विचार कर रही है।
राज्य में 7 दिसंबर को चुनाव होने हैं। भाजपा पदाधिकारी ने बताया कि कैबिनेट मंत्रियों और मौजूदा विधायकों के खिलाफ पार्टी कार्यकर्ताओं के नकारात्मक फीडबैक के चलते मुख्यमंत्री पर दबाव बढ़ता जा रहा है। इसके चलते पार्टी 200 विधानसभा क्षेत्रों में से कम से कम 100 सीटों पर उम्मीदवारों को बदल सकती है।
खबरों के मुताबिक भाजपा के चुनाव प्रबंधन समिति के सदस्य एक वरिष्ठ नेता ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर यह जानकारी दी। वरिष्ठ नेता ने बताया, गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग मंत्री सुरेंद्र गोयल, लोक निर्माण विभाग मंत्री यूनुस खान और देवस्थान मंत्री राजकुमार रिणवा जैसे वरिष्ठ मंत्रियों के खिलाफ असंतोष बढ़ता जा रहा है। ऐसे संकेत हैं कि करीब 6 कैबिनेट मंत्रियों पर गाज गिर सकती है।
वहीं, प्रदेश के चुनावी इतिहास में यह पाया गया है कि सत्ताधारी पार्टी ने किसी मौजूदा विधायक को दोबारा चुनाव लड़ाया है तो उसकी हार हुई है।
साल 2008 में भाजपा ने 68 उम्मीदवारों को टिकट दिए थे जिन्होंने साल 2003 का विधानसभा चुनाव लड़ा था। उनमें से केवल 28 ही जीत पाए और बाकी के 40 विधायक चुनाव हार गए जिनमें 13 मंत्री भी शामिल थे।
इसी तरह साल 2013 में सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस ने 105 उम्मीदवारों को टिकट दिया था जिन्होंने 2008 में भी चुनाव लड़ा था। उनमें से सिर्फ 14 ही चुनाव जीत पाए थे।नागपुर। संघ द्वारा आयोजित वार्षिक विजयदशमी पर्व में बोलते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर के संदर्भ में कहा कि राम जन्मभूमि के लिए स्थान का आवंटन अभी तक नहीं किया गया, जबकि साक्ष्यों से यह स्पष्ट है कि उस जगह पर मंदिर था। यदि राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होता तो वहां पर मंदिर काफी पहले ही बन गया होता। हम चाहते हैं कि सरकार कानून बनाकर निर्माण के मार्ग को प्रशस्त करे। मोहन भागवत ने कहा, राष्ट्र के ‘स्वÓ के गौरव के संदर्भ में अपने करोड़ों देशवासियों के साथ श्रीराम जन्मभूमि पर राष्ट्र के प्राणस्वरूप धर्ममर्यादा के विग्रहरूप श्रीरामचन्द्र का भव्य राममंदिर बनाने के प्रयास में संघ सहयोगी है। राम मंदिर का बनना स्वगौरव की दृष्टि से आवश्यक है, मंदिर बनने से देश में सद्भावना व एकात्मता का वातावरण बनेगा।
इसके साथ ही आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हमारा समाज भारत की अवधारणा से सहज भाव से उपजे जब स्व की भावना के सत्य को भूल गया और स्वार्थ प्रबल हो गए तो हम अत्याचार के शिकार हो गए। समाज में अपनी कमियां थी। शासकों ने तो किसी को भी नहीं छोड़ा। बाबर ने ना हिंदू को बख्शा, ना मुस्लिम को बख्शा।
देश में हालिया दौर में हुए आंदोलनों का जिक्र करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि ‘भारत तेरे टुकड़े होंगेÓ कहने वालों का संविधान में यकीन नहीं है। देश में छोटी-छोटी बातों पर आंदोलन होने लगे हैं। बंदूक की नली के आधार पर सत्ता प्राप्त करेंगे, भारत तेरे टुकड़े होंगे जो नारे लगाते हैं, ऐसे भी चेहरे आंदोलन में रहते हैं। हमारे देश में जो हो रहा है, असंतोष का राजनीतिक लाभ लिया जा रहा है। गलत बातों का सोशल मीडिया पर प्रचार हो रहा है।संघ प्रमुख का बड़ा बयानसंबोधन की अहम बातेंठ्ठ देश के रक्षा बलों को सशक्त बनाने और पड़ोसियों के साथ शांति स्थापित करने के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर यह भी कहा कि वहां नई सरकार आ जाने के बावजूद सीमा पर हमले बंद नहीं हुए हैं। भारत की विदेश नीति हमेशा शांति, सहिष्णुता और सरकारों से निरपेक्ष मित्रवत संबंधों की रही है।
ठ्ठ उन्होंने देशवासियों से अपील की कि वे समाज में ‘शहरी माओवादÓ और ‘नव-वामपंथीÓ तत्वों की गतिविधियों से सावधान रहें। भागवत ने कहा, दृढ़ता से वन प्रदेशों में अथवा अन्य सुदूर क्षेत्रों में दबाए गए हिंसात्मक गतिविधियों के कर्ता-धर्ता एवं पृष्ठपोषण करने वाले अब शहरी माओवाद (अर्बन नक्सलिज्म) के पुरोधा बनकर राष्ट्रविरोधी आंदोलनों में अग्रपंक्ति में दिखाई देते हैं।
ठ्ठ उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्गों के लिए बनी हुई योजनाएं, उप-योजनाएं और कई प्रकार के प्रावधान समय पर तथा ठीक से लागू करने को लेकर केंद्र एवं राज्य सरकारों को अधिक तत्परता और संवेदना का परिचय देने की एवं अधिक पारदर्शिता बरतने की आवश्यकता है।
ठ्ठ भागवत ने यह भी कहा, अपनी सेना तथा रक्षक बलों का नीति धैर्य बढ़ाना, उनको साधन-संपन्न बनाना, नई तकनीक उपलब्ध कराना आदि की (शेष पेज 8 पर)