श्री स्वामी समर्थ : श्री स्वामी समर्थ (Shri Swami Samarth) दत्त संप्रदाय के एक महान संत और गुरु थे। वह भारत (Bharat) के महाराष्ट्र (Maharashtra) राज्य जिला सोलापुर (Solapur) तहसील अक्कलकोट (Akkalkot) में रहते थे। उनके वहाँ रहने के बाद अक्कलकोट बहुत प्रसिद्ध हो गया। उनके भक्तों का मानना है कि वह भगवान दत्तात्रेय (Dattatreya) के तीसरे पूर्णावतार थे । ऐसा माना जाता है कि वह श्रीपाद वल्लभ और श्रीनृसिंहसरस्वती के बाद भगवान श्री दत्तात्रेय के तीसरे पूर्णावतार अवतार हैं। स्वामी भक्तो का ऐसा मनना हैं कि सुभह "तारक मंत्र" का पठन करणे से "स्वामी समर्थ" हमारी सभी मनोकामना पुरी करते हैं
- श्री स्वामी समर्थ तारक मंत्र
नि:शंक हो निर्भय हो मना रे,
प्रचंड स्वामीबळ पाठीशी रे,
अतर्क्य अवधुत हे स्मरणगामी,
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी,
जिथे स्वामीपाय तिथे न्युन काय,
स्वये भक्त प्रारब्ध घडवी ही माय.
आज्ञेविन काळ ना नेई त्याला
परलोकीही ना भिती तयाला,
उगाची भितोसी भय हे पळु दे.
जवळी उभी स्वामी शक्ती कळु दे,
जगी जन्ममृत्यु असे खेळ ज्यांचा,
नको घाबरु तु असे बाळ त्यांचा.
खरा होई जागा श्रद्धेसहीत,
कसा होशी त्याविण तु स्वामीभक्त.
कितीदा दिला बोल त्यांनीच हात,
नको डगमगु स्वामी देतील साथ,
विभुती नमन नाम ध्यानादी तीर्थ
स्वामीच ह्या पंचप्राणामृतात,
हे तीर्थ घे आठवी रे प्रचिती,
न सोडी कदा स्वामी ज्या घेई हाती.
श्री स्वामी चरणविंदार्पणमस्तु ||
स्वामी समर्थ ने विभिन्न धार्मिक संप्रदायों के लोगों की मदद की और उन्हें उच्चतर आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान किया। उन्होंने अपने अनुयायों को साधना, ध्यान और भक्ति की प्राकृतिक विधियों पर ध्यान केंद्रित करने का उपदेश दिया। स्वामी समर्थ एक ऐसे गुरु थे जिन्होंने अपने शिष्यों की श्रद्धा और विश्वास को महत्व दिया और उन्हें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। महाराष्ट्र और भारत के विभिन्न हिस्सों में श्री स्वामी समर्थ के कई मठ हैं।
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