अजमेर (कार्यालय संवाददाता)। सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का 807 वां उर्स रजब माह की नौ तारीख को रविवार को नवीं के कुल (बड़ा कुल) की रस्म के साथ ही विधिवत समापन हो गया।
सुबह आठ बजे से बड़े कुल की रस्म खुद्दाम-ए-ख्वाजा (खादिम) व आम जायरीनों ने मिलकर अदा की। दरगाह स्थित आस्ताने शरीफ के साथ बाहरी दीवारों एवं दरगाह परिसर को गुलाबजल, केवड़ा जल एवं सामान्य पानी से धोने की रस्म अदायगी की गई जबकि अंजुमन से जुड़े खादिमों ने आस्ताना, बेगमीदलान व पायंती दरवाजे तक संपूर्ण दरगाह परिसर को धोया। धार्मिक मान्यता के चलते गुलाबजल, केवड़ा चंदन से मिश्रित इस जल को अकीदतमंदों ने बोतलों में भरकर घर ले जाने की परंपरा का भी निर्वहन किया। इसके साथ ही ख्वाजा साहब के 807वें सालाना उर्स में भाग लेने आए जायरीनों का लौटने का सिलसिला बहुत तेजी से शुरू हो गया।