भाजपा के पार्षदों में ही है खासा आक्रोश
विरोध के चलते नहीं हो पा रही है बैठक
कटारिया भी नहीं दे रहे हैं बोर्ड बैठक के निर्देश
उदयपुर। पूरा उदयपुर शहर जगह-जगह पर खुदा हुआ है और शहरवासी धूल के साथ-साथ कई तरह समस्याओं को फांक रहे है और एक वर्ष हो गया नगर निगम की बोर्ड बैठक को। पिछले वर्ष फरवरी में बजट को लेकर बोर्ड बैठक हुई थी, इसके बाद अब तक एक भी बोर्ड की बैठक नहीं हो पाई है। माना जा रहा है कि भाजपा पार्षदो के आक्रोश के चलते और बोर्ड की बैठक में हंगामा होने की आशंका के चलते ही बोर्ड की बैठक नहीं हो पा रही है। ना तो निगम महापौर और ना ही भाजपा संगठन इसे लेकर गंभीर है।
शहर की वर्तमान हालात की बात करें तो पूरा शहर जगह-जगह खुदा हुआ है और सड़कों की हालत खराब है। हिरणमगरी क्षेत्र के साथ-साथ शहर में कई स्थानों पर सड़को को खोदने के बाद उन्हें ठीक नहीं किया गया ऐसे में शहरवासी धूल फांकने को मजबूर हो रहे है। इन क्षेत्रों के पार्षदों की हालत यह है कि वे अपने वार्ड में भी नहीं जा पा रहे है। जिससे लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है। इधर नगर निगम में पूरा एक वर्ष होने को आया है परन्तु अभी तक बोर्ड की बैठक नहीं हुई है। नगर निगम की हालत यह है कि यहां पर बोर्ड की बैठक पिछले वर्ष फरवरी में हुई थी और अब एक वर्ष बाद बैठक पुन: फरवरी मेें होगी, हालांकि उसकी भी अभी तक तारीख तय नहीं हो पाई है और इस बार भी बोर्ड की बैठक बजट बैठक होगी, जिसमें नगर निगम का वर्तमान बोर्ड अपना आखिरी बजट पेश करेगा।
इधर एक वर्ष से बोर्ड की बैठक नहीं होने से भाजपा पार्षद भी आक्रोशित है। भाजपा पार्षदों के पास कई तरह के मुद्दे है और वे इन मुद्दों को बोर्ड की बैठक में उठाना चाहते है। इन मुद्दों को उठाने के लिए पार्षद काफी बैचेन हो रहे है। विशेषकर हिरणमगरी क्षेत्र के पार्षदों के पास तो काफी तरह के मुद्दे है और वे इन मुद्दों का जनता के सामने लाना चाहते है, परन्तु मौका नहीं मिल पा रहा है ओर फरवरी में जिस तरह से बजट बैठक होगी उससे यह स्पष्ट हो रहा है कि उस समय भी पार्षद अपने मुद्दे नहीं उठा पाएंगे। शहर की हालत यह हो चुकी है कि पूरा शहर खुदा पड़ा है और निगम के अधिकारी और जिम्मेदारों को इसे लेकर कोई जवाबदारी नहीं दिखाई दे रही है।अतिरिक्त जिम्मेदारी से चल रह है निगम
इधर निगम का सारा काम अतिरिक्त जिम्मेदारी से चल रहा है। निगम आयुक्त का ट्रांसफर हो चुका है और नई नियुक्त आयुक्त ने अभी ज्वाईन नहीं किया है। आयुक्त का सारा काम उपायुक्त भोज कुमार देख रहे है। वहीं स्मार्ट सिटी का अस्थाई प्रभार जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कमर चौधरी को दिया गया है। इसके साथ ही उदयपुर से अजमेर तबादला हो चुके एसई अरूण व्यास के पास अभी भी स्मार्ट सिटी का अतिरिक्त प्रभार है। जब सारा ही काम अन्य विभागों के अधिकारियों को बांट रखा है तो काम कैसे सही होगा।
एक वर्ष से लगातार दे रहे है प्रस्ताव
इधर निगम के पार्षद एक वर्ष से लगातार अपनी वार्ड की समस्याओं को लेकर कई प्रस्ताव दे चुके है, परन्तु अभी तक एक भी प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हो पाई है। जिसको लेकर भी आक्रोश है। कहीं पर सफाई की समस्या है तो कहीं पर सड़क बनाने की समस्या है। कहीं पर पार्क बनाने का प्रस्ताव है तो कहीं पर पार्किंग को लेकर समस्याएं लम्बित है, परन्तु कोई काम नहीं हो पा रहा है।इनका कहना है महापौर अपने ही पार्षदों से डर रहे है और इसी कारण बोर्ड की बैठक नहीं हो पा रही है। महापौर और पार्षदों में विरोधाभास है और उन्हें पता है कि बोर्ड की बैठक में हंगामा होना तय है। जनता की समस्याओं को लेकर जब सदन में सवाल उठेंगे तो वे जवाब नहीं दे पाएंगे। जमीनी स्तर पर काम नहीं हो पाया है और स्मार्ट सिटी को लेकर जो ढिंढोरा पीटा था उसमें मात्र 10 प्रतिशत ही काम हुआ है। पूरा शहर खुदा पड़ा है। शहर विधायक भी बराबर के जवाबदार है उन्हें भी अपनी जवाबदारी देनी चाहिए।
-मोहसीन खान, नेता प्रतिपक्ष नगर निगममुझे नहीं पता है कि पिछली बार बोर्ड की बैठक कब हुई थी। अब तो बजट बैठक ही होगी। शहर में विकास के काम दु्रत गति से चल रहे है और कोई काम रूका हुआ नहीं है।
चन्द्रसिंह कोठारी,
महापौर नगर निगम उदयपुर